नयी दिल्लीः नयी दिल्लीः भारतीय मुद्रा बाजार में मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार गिरकर 70 के पार चला गया. वर्ष 1947 में आजादी से लेकर के अभी तक के सफर में यह रुपये की सबसे बड़ी गिरावट है. हालांकि, बताया जा रहा है कि तुर्की की मुद्रा लीरा में गिरावट का असर मंगलवार को भी देखने को मिला. हालांकि, मंगलवार को इसकी शुरुआत 8 पैसे की मजबूती से हुई थी, लेकिन इसके बावजूद यह 69 के स्तर पर बना हुई थी.
इस बीच, सरकार ने अमेरिकी डाॅलर के मुकाबले रुपये के अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के लिए ‘बाह्य कारकों’ को जिम्मेदार ठहराया. उसने कहा कि इसमें चिंता की काई बात नहीं है. आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि आने वाले समय में इन बाहरी कारणों में सुधार आने की संभावना है. उन्होंने कहा कि रुपये में गिरावट का बाहरी कारक हैं और इस समय चिंता की कोई वजह नहीं है.
इसे भी पढ़ेंः रुपया 19 माह के निम्नतम स्तर पर पहुंचा
तुर्की की आर्थिक चिंता से अमेरिकी डाॅलर के मुकाबले रुपया मंगलवार के कारोबार के दौरान 70.1 के स्तर तक गिर गया. आनंद राठी शेयर्स एंड स्टाॅक ब्रोकर्स में शोध विश्लेषक आर मारू ने कहा कि आयातकों की अधिक मांग से रुपये की विनिमय दर में गिरावट आयी. उन्होंने कहा कि तुर्की संकट को लेकर अनिश्चितता तथा डाॅलर सूचकांक में तेजी को देखते हुए आयातक आक्रमक तरीके से डाॅलर लिवाली कर रहे हैं. वहीं, आरबीआई की तरफ से आक्रमक हस्तक्षेप नहीं होने से भी रुपया नीचे आया.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.