”यूपीए सरकार के कार्यकाल में हाई लेवल पर थी वृहद आर्थिक अस्थिरता”

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य सुरजीत भल्ला ने शनिवार को कहा कि नये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों से यह सचाई नहीं बदल सकती कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल में ‘वृहद आर्थिक अस्थिरता’ सबसे उच्चस्तर पर थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा गठित वास्तविक क्षेत्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2018 6:19 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सदस्य सुरजीत भल्ला ने शनिवार को कहा कि नये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों से यह सचाई नहीं बदल सकती कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल में ‘वृहद आर्थिक अस्थिरता’ सबसे उच्चस्तर पर थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा गठित वास्तविक क्षेत्र सांख्यिकी पर समिति द्वारा तैयार पिछली शृंखला के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2006-07 के दौरान 10.08 फीसदी की वृद्धि दर्ज की थी, जो 1991 के उदारीकरण के बाद सबसे ऊंची वृद्धि दर है.

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भल्ला ने ट्वीट किया कि अफवाहें चल रही हैं कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में सबसे ऊंची वृद्धि दर थी. ऐसे में नीतिगत मोर्चे पर किसी तरह की जड़ता की स्थिति नहीं थी. नये जीडीपी आंकड़ों से यह वास्तविकता नहीं बदलती है कि वृहद आर्थिक अस्थिरता यूपीए के दौरान सबसे ऊंची थी, मुद्रास्फीति सबसे ऊपर थी. केंद्र और राज्यों का वित्तीय घाटा सबसे ऊंचा था. भ्रष्टाचार चरम पर था और नीतिगत मोर्चे पर ठहराव आ गया था.

यह रिपोर्ट सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी की गयी है. इस रिपोर्ट में पुरानी शृंखला (2004-05) और नयी शृंखला 2011-12 के मूल्य पर वृद्धि दर की तुलना की गयी है. पुरानी शृंखला के अनुसार, 2006-07 में वृद्धि दर 9.57 फीसदी बैठती है. वहीं, नयी शृंखला के हिसाब से यह 10.08 फीसदी बैठती है.

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