नयी दिल्ली : जेट एयरवेज के वित्तीय संकट की रिपोर्टों के बीच केंद्रीय नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि निजी एयरलाइंस को अपनी चुनौतियों से खुद निपटना होगा, सरकार की भूमिका तो केवल नीतिगत स्तर की ही हो सकती है. मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है, जब एयरलाइन इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रहा है. कच्चे तेल के ऊंचे दाम और कड़ी प्रतिस्पर्धा से जूझना पड़ रहा है, जिससे उनका मुनाफा भी घट रहा है.
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जेट एयरवेज की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर प्रभु ने कहा कि हमें उनकी स्थिति की जानकारी नहीं है. पिछले 25 साल से उड़ान सेवाएं दे रही पूर्ण सेवा विमानन कंपनी इस समय वित्तीय संकट से जूझ रही है. इससे पहले इसी महीने कंपनी ने जून तिमाही नतीजों की घोषणा टाल दी थी. हाल के हफ्तों में जेट एयरवेज के शेयर मूल्य में भी गिरावट आयी है.
प्रभु ने एक साक्षात्कार में कहा कि हमें उनकी स्थिति की जानकारी नहीं है. जहां तक निजी एयरलाइंस का सवाल है, उन्हें अपने मुद्दों से खुद ही निपटना होगा. मंत्रालय सिर्फ नीतिगत पहलू पर गौर कर सकता है.
जेट एयरवेज वित्तीय संकट से जूझ रही है. कंपनी ने 9 अगस्त को जून तिमाही के अनांकेक्षित नतीजों को टाल दिया था. एयरलाइन के निदेशक मंडल की 27 अगस्त को बैठक होगी, जिसमें 30 जून को समाप्त तिमाही के नतीजों पर विचार किया जायेगा और उसे मंजूरी दी जायेगी.
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