कैबिनेट ने बीमा नियामक क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी
नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आइआरडीएआइ) और अमेरिका के संघीय बीमा कार्यालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को आज मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दीगयी. समझौता ज्ञापन प्रत्येक प्राधिकार के संक्षिप्त विवरण और अन्य विधि […]
नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आइआरडीएआइ) और अमेरिका के संघीय बीमा कार्यालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को आज मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दीगयी. समझौता ज्ञापन प्रत्येक प्राधिकार के संक्षिप्त विवरण और अन्य विधि सम्मत जिम्मेदारियों के संबंध में सूचना और अनुसंधान सहायता का आदान-प्रदान करने सहित सहयोग और समन्वय के लिए एक रूपरेखा प्रदान करेगा. इस समझौते के अंतर्गत दोनों देश विभिन्न नियामक कार्यों पर अपने अनुभवों को बांटेंगे और प्रशिक्षण गतिविधियों सहित परस्पर सहायता प्रदान करेंगे.
भारत और अमेरिका अंतरराष्ट्रीय मानक स्थापित करने संबंधी गतिविधियों पर सहयोग बढ़ाने को जारी रखने, वित्तीय स्थिरता और बीमा क्षेत्र के मजबूत मितव्ययी (प्रूडेंशियल) नियामक के जरिए उपभोक्ता संरक्षण के विकास और कार्यान्वयन पर भी सहमत हो गए हैं. भारत में बीमा और पुनर्बीमा व्यवसाय को नियंत्रित करने, उसे बढ़ावा देने और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए बीमा विनियामक और विकास प्राधिकार कानून, 1999 के अंतर्गत आइआरडीएआइ का गठन किया गया था. इसी प्रकार अमेरिका में संघीय बीमा कार्यालय (एफआइओ) है जिसे बीमा क्षेत्र के सभी पहलुओं की निगरानी करने और अंतरराष्ट्रीय बीमा के मितव्ययी पहलुओं पर अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है.
भारत और अमेरिका के एक-दूसरे के साथ मजबूत व्यावसायी संबंध हैं और दोनों देश विभिन्न राजनीतिक और आधिकारिक स्तरों पर नियमित बातचीत करते रहते हैं. दोनों देशों के बीच विभिन्न बहुक्षेत्रीय मुद्दों पर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए समय-समय पर विभिन्न संस्थागत तंत्र बनाये गये हैं. अमेरिका का भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में प्रमुख योगदान है और अनेक बीमा कंपनियों ने अमेरिका की बीमा कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित किए हैं. विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के साथ भारतीय बीमा क्षेत्र विशेषकर अमेरिका की बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की आगे भी संभावना है.
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