120 मिलियन Dollar का घर… 8 साल का विवाद, साइरस पूनावाला से जुड़ा है मसला, पढ़ें पूरी खबर
साइरस पूनावाला ने साल 2015 में 120 मिलियन डॉलर की सबसे बड़ी बोली लगाकर लिंकन हाउस खरीदा था. पूनावाला ने अमेरिका के साथ सौदा किया था, जिसमें लीज के अधिकारों का ट्रांसफर भी शामिल था. लेकिन इसे खरीदने के आठ साल बीत जाने के बाद भी पूनावाला परिवार को संपत्ति में दाखिल होने का अधिकार नहीं मिला है.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मालिक साइरस पूनावाला के लिए एक घर गले की फांस बन गया है. पूनावाला ने 120 मिलियन डॉलर की लागत से ‘लिंकन हाउस खरीदा, लेकिन केंद्र सरकार ने कई सालों से लिंकन हाउस की खरीद पर अस्थायी रोक लगा रखी है. इस इमारत तो आज से आठ साल पहले यानी साल 2015 में साइरस पूनावाला ने खरीदा था. दरअसल जिस जमीन पर लिंकन हाउस बना है उस जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है.
गौरतलब है कि वांकानेर के तत्कालीन महाराजा के दो एकड़ में फैले इस बंगले को 1957 में अमेरिका ने लीज पर लेकर अपने वाणिज्य दूतावास का कार्यालय बनाया था. साइरस पूनावाला ने साल 2015 में 120 मिलियन डॉलर की सबसे बड़ी बोली लगाकर इसे खरीदा था. पूनावाला ने अमेरिका के साथ सौदा किया था, जिसमें लीज के अधिकारों का ट्रांसफर भी शामिल था. लेकिन इसे खरीदने के आठ साल बीते जाने के बाद भी पूनावाला परिवार को संपत्ति में दाखिल होने का अधिकार नहीं मिला है.
बता दें, अमेरिकी सरकार ने लिंकन हाउस को 1957 में वांकानेर के अंतिम शासक महाराणा राज श्री प्रताप सिंह जी साहेब झाला राजवंश से 999 साल की लीज पर खरीदा था. अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के बाद इस इमारत पर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स बनाया गया. इस बीच अमेरिकी सरकार और पूनावाला के बीच हुए सौदे में पूनावाला ने 120 मिलियन डॉलर देकर इस घर को खरीद लिया. वहीं, इस मामले में पूनावाला का कहना है कि भारत सरकार ने इस मसले को क्यों होल्ड पर रखा है इसको लेकर कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है.
Also Read: कहीं पाकिस्तान की हालत तुर्की और म्यांमार जैसी न हो जाए… इमरान खान ने दी चेतावनी
महाराष्ट्र सरकार और रक्षा मंत्रालय कर रहे हैं दावा: दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह जमीन किसकी है यह साफ नहीं हो पाया है. महाराष्ट्र सरकार इसपर अपना दावा कर रही है. वहीं, रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ये जमीन उसके अधीन है. मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि जमीन को लेकर भारत और अमेरिका के बीच भी तनाव हुआ था.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.