रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि को लेकर संवेदनशील
नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक गवर्नर डी सुब्बाराव ने आज कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि संबंधी चिंताओं को लेकर संवेदनशील है लेकिन वह उंची मुद्रास्फीति की कीमत पर यह नहीं चाहता. उन्होंने देश में वृद्धि रहित मुद्रास्फीति (स्टैगफ्लेशन) की आशंका को भी खारिज किया. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति […]
नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक गवर्नर डी सुब्बाराव ने आज कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि संबंधी चिंताओं को लेकर संवेदनशील है लेकिन वह उंची मुद्रास्फीति की कीमत पर यह नहीं चाहता. उन्होंने देश में वृद्धि रहित मुद्रास्फीति (स्टैगफ्लेशन) की आशंका को भी खारिज किया.
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के संतुलन को ध्यान में रखा है और यही कारण है कि पिछले वर्ष जनवरी से नीतिगत ब्याज दरों में कमी हो रही है. उन्होंने कहा कि 5 प्रतिशत मुद्रास्फीति का स्तर संतोषजनक है. चालू खाते के घाटे (सीएडी) के स्तर को चिंता का कारण मानते हुए सुब्बाराव ने कहा कि निर्यात को गति देने की जरुरत है और स्वर्ण जैसे बोझ बढ़ाने वाले आयात को कम करने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को 5 प्रतिशत पर लाने की जरुरत है. उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है.
सुब्बाराव ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुद्रास्फीति का एक दायरा है. अगर मुद्रास्फीति उस दायरे से उपर है तो यह वृद्धि के लिहाज से प्रतिकूल है. अगर मुद्रास्फीति उस दायरे से नीचे है तो यह संभव है कि आप एक हद तक कुछ उंची महंगाई दर को बर्दाश्त करते हुये उच्च वृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का काम केवल मुद्रास्फीति को काबू में करना नहीं है जैसा कि बैंक आफ इंगलैंड के मामले में है. बैंक आफ इंगलैंड किसी भी कीमत पर इस पर शिकंजा कसना चाहता है.
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