पेट्रोल डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से आम आदमी त्रस्त, सरकार ने बाहरी कारकों को बताया जिम्मेदार
नयी दिल्ली : पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सोमवार को फिर बढ़ी कीमतों ने पेट्रोल और डीजल के दर को नये उच्चमत स्तर पर पहुंचा दिया है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल प्रति लीटर 31 पैसे महंगा होकर 79.15 रुपये लीटर और डीजल 39 पैसे की वृद्धि […]
नयी दिल्ली : पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सोमवार को फिर बढ़ी कीमतों ने पेट्रोल और डीजल के दर को नये उच्चमत स्तर पर पहुंचा दिया है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल प्रति लीटर 31 पैसे महंगा होकर 79.15 रुपये लीटर और डीजल 39 पैसे की वृद्धि के बाद 71.15 रुपये लीटर पर पहुंच गया है. वहीं चार महानगरों की बात करें तो मुंबई में पेट्रोल की कीमत 86.25 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 75.12 रुपये प्रति लीटर हो गयी है, जो अब तक का उच्चतम स्तर है.
अगर कोलकाता की बात करें तो यहां पेट्रोल 81.76 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि डीजल की कीमत 73.61 रुपये प्रति लीटर है. चेन्नई में पेट्रोल की कीमत 81.93 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 74.78 रुपये प्रति लीटर है. झारखंड और बिहार की बात की जाए तो बिहार में पेट्रोल डीजल की कीमतें झारखंड से ज्यादा है. आपको बता दें कि राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त कर लगाये जाने के कारण अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल डीजल की कीमतें अलग-अलग होती हैं.
झारखंड की राजधानी रांची में पेट्रोल की कीमत 78.55 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल की कीमत 74.97 रुपये प्रति लीटर है. वहीं बिहार की राजधानी पटना में पेट्रोल की कीमतें 85.17 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 75.80 रुपये प्रति लीटर है. पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों पर सरकार की दलील है कि ये इजाफा बाहरी कारणों से हो रहा है. वैश्विक कारकों के कारण लगातार पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ रहे हैं.
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को कहा कि देश में पेट्रोल और डीजल का दाम बढ़ने के पीछे ‘बाहरी कारक’ जिम्मेदार हैं और ईंधन कीमतों में बढ़ोत्तरी का यह दौर अस्थायी है. प्रधान ने कहा कि कच्चे तेल में उत्पादन की कमी घरेलू बाजार में ईंधन की कीमतें बढ़ने का एक बड़ा कारण है. उन्होंने कहा, ‘मैं दो बातें स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं. पहली, तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने अपना तेल उत्पादन बढ़ाकर प्रतिदिन 10 लाख बैरल करने का वादा किया था लेकिन यह पूरा नहीं किया. इसके अलावा वेनेजुएला और ईरान जैसे तेल उत्पादक देशों में संकट बढ़ रहा है.’
प्रधान ने कहा, ‘तेल उत्पादन घटने से उसकी कीमतों पर दबाव पड़ा है. वहीं दुनियाभर की मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही हैं.’ इस प्रकार यह दोनों बाहरी कारक देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के पीछे जिम्मेदार हैं.
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