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किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए नयी खरीद नीति को मिली मंजूरी

नयी दिल्ली : सरकार ने बुधवार को नयी फसल खरीद नीति को मंजूरी दी है. इसमें एक योजना और तिलहन कीमतों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम होने की स्थिति में तिलहन किसानों को उनके नुकसान की भरपाई करने पर केंद्रित है और दूसरी योजना के तहत राज्य सरकारों को किसानों से उनकी उपज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2018 4:07 PM

नयी दिल्ली : सरकार ने बुधवार को नयी फसल खरीद नीति को मंजूरी दी है. इसमें एक योजना और तिलहन कीमतों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम होने की स्थिति में तिलहन किसानों को उनके नुकसान की भरपाई करने पर केंद्रित है और दूसरी योजना के तहत राज्य सरकारों को किसानों से उनकी उपज की खरीद में निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी जोड़ने की छूट होगी. सूत्रों ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया.

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इस साल बजट में सरकार ने घोषणा की थी कि वह किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए ‘फूलप्रूफ’ (चूकमुक्त) व्यवस्था बनायेगी. सरकार ने नीति आयोग से केंद्रीय कृषि मंत्रालय और राज्यों के साथ विचार-विमर्श करके किसी प्रणाली के बारे में सुझाव देने को कहा था. सूत्रों के अनुसार, नयी खरीद नीति पर कृषि मंत्रालय के प्रस्ताव ‘अन्नदाता मूल्य संरक्षण योजना’ को मंत्रिमंडल में विचार-विमर्श को मंजूरी दे दी है.

नयी नीति में राज्य सरकारों को विकल्प होगा कि वे कीमतें एमएसपी से नीचे जाने पर वे किसानों के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं में से किसी का भी चयन कर सकें. सिर्फ तिलहन किसानों के संरक्षण के लिए मध्य प्रदेश की भावांतर भुगतान योजना की तर्ज पर मूल्य कमी भुगतान (पीडीपी) योजना शुरू की गयी है. पीडीपी के तहत सरकार किसानों को एमएसपी तथा थोक बाजार में तिलहन के मासिक औसत मूल्य के अंतर का भुगतान करेगी. यह योजना देश में तिलहन के 25 फीसदी तक के उत्पादन पर क्रियान्वित की जायेगी.

इसके अलावा, राज्यों को तिलहन की खरीद करने के लिए प्रायोगिक तौर पर निजी कंपनियों को साथ लेने का विकल्प दिया गया है. सूत्रों ने कहा कि पीडीपी और निजी कंपनियों की भागीदारी विशेष रूप से तिलहनों के लिए होगी, क्योंकि सरकार खाद्य तेलों के लिए देश की आयात पर निर्भरता को कम करना चाहती है. नई नीति के तहत राज्यों के पास मौजूदा मूल्य सहायता योजना (पीएसएस) चुनने का विकल्प भी होगा, जिसके अंतर्गत केंद्रीय एजेंसियां जिंसों की कीमत एमएसपी से कम होने की स्थिति में एमएसपी नीति के दायरे में आने वाली वस्तुओं को खरीदती हैं.

सूत्रों ने बताया कि राज्य पीएसएस या पीडीपी चुन सकते हैं या किसानों को एमएसपी तय करने के लिए खरीद के काम में निजी कंपनियों को साथ कर सकते हैं. सरकार की खाद्यान्न खरीद एवं वितरण करने वाली नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पहले से ही राशन की दुकानों और कल्याणकारी योजनाओं के जरिये आपूर्ति करने के लिए एमएसपी पर गेहूं और चावल खरीदती है.

केंद्र उन वस्तुओं की खरीद के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) भी लागू करता है, जो प्रकृति में जल्द खराब होने वाली होती हैं और एमएसपी नीति के अंतर्गत शामिल नहीं हैं. एमएसपी नीति के तहत सरकार खरीफ और रबी मौसमों में उगायी गयी 23 अधिसूचित फसलों की दरों को निर्धारित करती है. भारत सालाना 1.4 से 1.5 करोड़ टन खाद्य तेल आयात करता है, जो घरेलू मांग का लगभग 70 फीसदी भाग है.

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