बीजिंग : चीन की अर्थव्यस्था में नरमी के और अधिक संकेत मिले हैं. निवेश की रफ्तार नये न्यूनतम स्तर तक गिर गया है, जबकि खुदरा खर्च और औद्योगिक उत्पादन एक स्तर पर स्थिर हो गया है. चीन को इस समय बहुत नाजुक संतुलन बिठाना पड़ रहा है. वह अपने वृद्धि के लिए निवेश और निर्यात पर जोर देने की जगह घरेलू निजी खपत बढ़ाने पर जोर देना पड़ रहा है. इसके साथ ही, उसे भारी कर्ज के बोझ से भी जूझना पड़ रहा है.
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अमेरिका के साथ व्यापारिक मोर्चे पर तनाव ने चीन के इस लक्ष्य को और जटिल बना दिया. देश का शेयर बाजार भी 2016 की गिरावट के बाद के न्यूनतम स्तर पर आ गया है. चीन और अमेरिका के बीच विवाद सुलझाने के लिए चल रही उच्चस्तरीय वार्ता के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चीन से आयातित हर वस्तु पर उच्च शुल्क लगाने की धमकी ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.
चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में कहा गया कि व्यापार मोर्चे पर जारी जंग का आर्थिक आंकड़ों पर अब तक सीमित प्रभाव पड़ा है. पूंजीगत निवेश में जनवरी-अगस्त अवधि में सिर्फ 5.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी. जनवरी से जुलाई के दौरान यह 5.5 फीसदी थी.
वहीं, कारखाना उत्पादन की वृद्धि दर जुलाई में 6 फीसदी से बढ़कर अगस्त में 6.1 फीसदी हो गयी. खुदरा बिक्री की वृद्धि दर अगस्त में 9 फीसदी रही, जो जुलाई में 8.8 फीसदी पर थी. विश्लेषकों ने चेताया कि यह उछाल उच्च मुद्रास्फीति में तेजी की वजह से भी हो सकती है.
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