नयी दिल्ली /बेंगलुरु : बैंकों के करोड़ों रुपये का गबन कर भगोड़े विजय माल्या के दावों से शुरू हुआ सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दावा किया है कि माल्या के भागने को लेकर कथित तौर पर स्टेट बैंक को आगाह किया गया था. इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी. हालांकि, स्टेट बैंक ने इससे इंकार करते हुए कहा कि माल्या मामले में कोई ढिलाई नहीं बरती है. दवे ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत मेंं कहा कि 28 फरवरी, 2016 को एक बैठक के दौरान उन्होंने एसबीआइ को आगाह किया था कि वह 29 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में अपील कर माल्या के देश छोड़ने पर रोक लगवा ले. इसकी जानकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों और सरकार के अहम लोगों को भी थी. फिर भी कुछ नहीं हुआ. मालूम हो कि दो मार्च, 2016 को माल्या ने भारत छोड़ दिया था.
एसबीआइ की सफाई, नहीं बरती ढिलाई : एसबीआइ ने इन दावों को खारिज किया है. बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि बैंक इस बात से इंकार करता है कि उसकी तरफ से किंगफिशर एयरलाइंस लोन डिफॉल्ट केस या अन्य में किसी तरह की लापरवाही बरती गयी है. बैंक ने फंसे पैसों की वसूली के लिए पूरी सक्रियता से व कठोर कदम उठाये हैं.
लुकआउट नोटिस में बदलाव बड़ी गलती
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआइ ने कहा है कि साल 2015 में माल्या को पकड़ने के लिए जारी किये जाने वाले लुकआउट नोटिस में बदलाव करना ‘एरर ऑफ जजमेंट’ था. दरअसल, पहले सर्कुलर में कहा गया था कि माल्या को एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया जाये. बाद में इसे बदला गया.
किसकी इजाजत से हुआ था नोटिस में बदलाव
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने माल्या मामले पर फिर हमला बोला और कहा कि यह समझ से परे है कि इतने बड़े मामले में प्रधानमंत्री की अनुमति के बिना सीबीआइ ने लुकआउट नोटिस बदला होगा. उन्होंने कहा कि सीबीआइ ने बड़ी खामोशी से डिटेन नोटिस को इन्फॉर्म नोटिस में बदल दिया.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.