बुधवार को कैबिनेट की बैठक में ऑपरेशन ग्रीन योजना पर विचार कर सकती है सरकार, जानिये…?
नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल टमाटर, प्याज और आलू, खाद्य पदार्थों की कीमतों में अत्यधिक गिरावट के समय किसानों की सहायता के लिए 500 करोड़ रुपये के कोष की नयी योजना ‘ऑपरेशन ग्रीन’ के प्रस्ताव पर बुधवार को विचार कर सकता है. खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उन्होंने […]
नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल टमाटर, प्याज और आलू, खाद्य पदार्थों की कीमतों में अत्यधिक गिरावट के समय किसानों की सहायता के लिए 500 करोड़ रुपये के कोष की नयी योजना ‘ऑपरेशन ग्रीन’ के प्रस्ताव पर बुधवार को विचार कर सकता है. खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की ऋण की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये के शुरुआती कोष से एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) की स्थापना के लिए एक और मंत्रिमंडल के लिए प्रस्ताव पर अगले हफ्ते विचार किये जाने की उम्मीद है.
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बादल ने सीआईआई के आयोजन के मौके पर कहा कि हम दो योजनाओं के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी चाहते हैं. मुझे लगता है कि बुधवार को टीओपी (टमाटर, प्याज और आलू) योजना के बारे में मंत्रिमंडल की बैठक में विचार किये जाने की संभावना है. एनबीएफसी का प्रस्ताव अगले हफ्ते विचार के लिए सामने आ सकता है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ग्रीन अथवा टीओपी योजना एक साधारण योजना है, जिसे इस साल के बजट में घोषित किया गया था. मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद इन योजनाओं को दो साल के लिए प्रायोगिक आधार पर लागू किया जायेगा.
बादल ने कहा कि टीओपी योजना केवल तीन उपज टमाटर, प्याज और आलू पर केंद्रित होगी. प्रत्येक उपज के लिए तीन क्लस्टर पहले से ही पहचाने जा चुके हैं. बादल ने कहा कि इन क्लस्टरों को सीधे बाजार से जोड़ा जायेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को इसमें शामिल किया जायेगा. खपत अथवा उपभोग केंद्रों के निकट भंडारण सुविधा की स्थापना के लिए सब्सिडी दी जायेगी.
उन्होंने कहा कि ऐसा विचार है कि उत्पादन की बहुतायत के समय तथा कीमतों में गिरावट आने एवं किसान की आय प्रभावित होने से पहले उन उत्पाद को उपभोग की जगहों तक ले जाया जायेगा. ऑपरेशन ग्रीन का उद्देश्य किसान उत्पादक संगठनों, कृषि-रसद, प्रसंस्करण सुविधाओं और पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा देना है. प्रस्तावित एनबीएफसी के संबंध में मंत्री ने कहा कि हम प्रस्ताव को पूरा करने के अंतिम चरण में हैं और यह संभवतः अगले मंत्रिमंडल की बैठक में आयेगा.
उन्होंने कहा कि हम अपना खुद का वित्तीय संस्थान शुरू करेंगे, जो न केवल खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को उधार देगा, बल्कि क्षमता निर्माण, जोखिम मूल्यांकन और बैंकों को पुनर्निर्मित करने में विभिन्न तरीकों से भी काम करेगा. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित एनबीएफसी को 2,000 करोड़ रुपये के आरंभिक कोष के साथ स्थापित किया जायेगा और सरकार इसमें 400 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. उन्होंने कहा कि भागीदारों को बोली प्रक्रिया के माध्यम से इसमें शामिल किया जायेगा.
उद्योग सूत्रों का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर बहुत ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें कहा गया है कि पिछले चार वर्षों में उठाये गये कई कदमों के कारण खाद्य बर्बादी का स्तर आठ फीसदी कम हुआ है. उन्होंने कहा कि 6,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री संपदा योजना (कृषि-समुद्री उत्पाद प्रसंस्करण तथा कृषि प्रसंस्करण क्लस्टरों के विकास के लिए योजना) योजना के तहत मेगा फूड पार्क, ‘फार्वर्ड एवं बैकवर्ड लिंकेज’ और क्लस्टरों का निर्माण किया जा रहा है.
मंत्री ने कहा कि पहले से ही 15 मेगा फूड पार्क स्थापित किये गये हैं और ये परिचालन में हैं. लगभग 280 कोल्ड स्टोरेज भी हैं और उनमें से 60 फीसदी काम कर रही हैं. मंत्री ने कहा कि 50 और शीत शृंखला बनाये जाने की उम्मीद है. बादल ने कहा कि जब हमारी खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ती है, उस वक्त शीत शृंखला और भंडारण सुविधाएं यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि न केवल कीमतें नियंत्रण में रहें, बल्कि अनिश्चित जलवायु परिवर्तन के बावजूद पर्याप्त खाद्य आपूर्ति हो.
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