देश में गाय के गोबर से पैदा हो सकेगी बिजली, दो यूरोपीय कंपनियां कर रहीं तैयारी
कोलकाता : कुछ विदेशी कंपनियां देश में गाय के गोबर से बिजली बनाने के मौके तलाश रही हैं. इस विषय में पोलैंड की एक कंपनी ने हॉलैंड की स्टर्लिंग इंजन बनाने वाली एक कंपनी से करार किया है. हालांकि, देश में पहले से ही बायोमास जेनरेटरों में गाय के गोबर का इस्तेमाल हो रहा है, […]
कोलकाता : कुछ विदेशी कंपनियां देश में गाय के गोबर से बिजली बनाने के मौके तलाश रही हैं. इस विषय में पोलैंड की एक कंपनी ने हॉलैंड की स्टर्लिंग इंजन बनाने वाली एक कंपनी से करार किया है. हालांकि, देश में पहले से ही बायोमास जेनरेटरों में गाय के गोबर का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन बायोगैस आधारित संयंत्रों को अभी तक खास लोकप्रियता नहीं मिल सकी है.
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ग्लोब सॉल्यूशंस के वाइस चेयरमैन मार्सिन विल्सजिन्सकी ने भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक परिचर्चा सत्र में मंगलवार को यहां कहा कि हम भारत में जिस तकनीक के इस्तेमाल की कोशिश कर रहे हैं, उसके रख-रखाव की जरूरत नहीं पड़ती है. सबसे खास बात यह है कि वह तकनीक गाय के गोबर या किसी भी अन्य बायोमास के इस्तेमाल से एक घंटे में कम से कम एक किलोवाट या 1.8 किलोवाट बिजली का उत्पादन कर सकती है. उन्होंने कहा कि इसमें प्रत्यक्ष दहन के लिए हॉलैंड की कंपनी माइक्रोजेन इंजन कॉरपोरेशन के स्टर्लिंग इंजन का इस्तेमाल किया जाता है, जो सुरक्षित है तथा परिचालन में आसान है.
भारत चैंबर के अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि यूरोपीय देशों में डेनमार्क गाय के गोबर से 30 फीसदी बिजली बनाने का लक्ष्य तय कर रहा है. राज्यसभा सांसद मनीष गुप्ता ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि यह तकनीक उन राज्यों के लिए उपयोगी होगी, जहां बिजली उत्पादन कम है. ग्लोब सॉल्यूशंस ने इस तकनीक की कीमत का खुलासा नहीं किया है.
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