नयी दिल्ली : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर देश के करेंसी नोट पर पहली बार उनके जन्मशती वर्ष में प्रकाशित की गयी. यह मौका आज से करीब 50 साल पहले आया जब 100 रुपये के नोट में राष्ट्रपिता की तस्वीर प्रकाशित की गयी.
हालांकि, वर्ष 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद से ही यह महसूस किया गया कि करेंसी नोटों में ब्रिटिश सम्राट के चित्र की जगह महात्मा गांधी की तस्वीर होनी चाहिए, लेकिन सरकार को इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने में काफी समय लग गया.
इस बीच, करेंसी नोट में ब्रिटेन सम्राट का स्थान सारनाथ के अशोक चिह्न ने ले लिया. रिजर्व बैंक ने पहली बार वर्ष 1969 में 100 रुपये का एक स्मारक नोट जारी किया जिसमें सेवाग्राम आश्रम में बैठे महात्मा गांधी को दिखाया गया था. लेकिन करेंसी नोट में राष्ट्रपिता की तस्वीर को नियमित रूप से प्रकाशित करने का काम 1987 में ही शुरू हो पाया.
इस साल 500 रुपये के नोट की नयी शृंखला में मुस्कराते हुए महात्मा गांधी का चित्र छापा गया. तब से महात्मा गांधी का चित्र नियमित रूप से विभिन्न मूल्य वर्ग के नोटों में छापा जाने लगा. गांधी का चित्र छापने से पहले मुद्रा नोटों में कई डिजाइन और छवियों का उपयोग किया गया.
वर्ष 1949 में तत्कालीन सरकार ने अशोक स्तंभ के साथ एक रुपये का नया नोट जारी किया. वर्ष 1953 में जारी नये नोटों में हिंदी को प्रमुखता के साथ स्थान दिया गया. हिंदी में रुपया के बहुवचन को लेकर जो बहस उस समय चल रही थी वह अंत में रुपये शब्द पर जाकर समाप्त हुई.
उच्च मूल्य वर्ग के नोटों (1,000 रुपये, 5,000 रुपये, 10,000 रुपये) को 1954 में पुन: जारी किया गया. इसके बाद 1980 में नोटों की बिल्कुल नयी शृंखला शुरू की गयी. इनमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से लेकर तेल उत्खनन और कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण के चित्रों पर जोर दिया गया.
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