पेरिस : अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने दुनिया के देशों की ओर से कच्चे तेल की मांग के अनुमान को घटाते हुए यह चेतावनी भी दी है कि एक बार फिर महंगी ऊर्जा का दौर लौट आया है. तेल गैस और कोयला कई सालों के उच्च स्तर पर पहुंच गये हैं. इससे आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. खासकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए जोखिम अधिक है.
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साथ ही, आईईए ने ऊंची कीमतों, व्यापार युद्ध और कम अनुकूल आर्थिक परिदृश्य का हवाला देकर 2018 और 2019 के लिए तेल की वैश्विक मांग में वृद्धि के अनुमान को शुक्रवार को कम कर दिया. इन दोनों साल के लिए वैश्विक मांग में अनुमानित वृद्धि में 1.10 लाख बैरल प्रति दिन की कमी कर दी गयी है. इससे पहले अनुमानित वृद्धि 2018 के लिए 13 लाख बैरल प्रति दिन और 2019 के लिए 14 लाख बैरल प्रति दिन तय की गयी थी.
आईईए ने मासिक तेल रिपोर्ट में एक बयान में कहा कि यह कमजोर वैश्विक परिदृश्य, व्यापार युद्ध और तेल की ऊंची कीमतों तथा चीन के आंकड़ों में संशोधन की वजह से हुआ है. बयान में कहा गया है कि महंगी ऊर्जा का दौर लौट आया है. तेल, गैस और कोयला कई सालों के उच्च स्तर पर पहुंच गया है. इससे आर्थिक वृद्धि विशेषकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने जोखिम पैदा हुआ है.
इसके मुताबिक, व्यापारिक तनाव से वैश्विक अर्थव्यवस्था भी जोखिम में है. हमारी संशोधित मांग परिदृश्य में भी ये चिंताएं दिखती हैं. आईईए ने चेतावनी देते हुए कहा कि हाल में आपूर्ति और मांग में आयी तेजी से तेल उत्पादन के क्षेत्र में अतिरिक्त क्षमता पर दबाव बढ़ा है.
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