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Reserve Bank ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के ऋण प्रवाह बढ़ाने को लेकर किया अन्य उपायों का ऐलान

मुंबई : रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास ऋण कंपनियों (एचएफसी) के लिए नकद कर्ज का प्रवाह बढ़ाने को लेकर शुक्रवार को और उपायों की घोषणा की. इन उपायों के तहत बैंक एनबीएफसी और एचएफसी को जितना अधिक कर्ज देंगे, उन्हें उसी के बराबर अपने पास की सरकारी प्रतिभूतियों को रिजर्व बैंक […]

मुंबई : रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास ऋण कंपनियों (एचएफसी) के लिए नकद कर्ज का प्रवाह बढ़ाने को लेकर शुक्रवार को और उपायों की घोषणा की. इन उपायों के तहत बैंक एनबीएफसी और एचएफसी को जितना अधिक कर्ज देंगे, उन्हें उसी के बराबर अपने पास की सरकारी प्रतिभूतियों को रिजर्व बैंक के पास रखकर उसके आधार पर कर्ज लेने के लिए इस्तेमाल की छूट होगी. इससे बैंकों के पास कर्ज देने योग्य धन बढ़ सकता है और वे अधिक कर्ज सहायता देने की स्थिति में होंगे. यह सुविधा 19 अक्टूबर को एनबीएफसी/ एचएफसी पर बैंकों के बकाया कर्ज के स्तर से ऊपर दिए गए कर्ज के लिए होगी और आगामी दिसंबर तक जारी रहेगी.

उम्मीद है कि इससे बैंकों के पास 50,000 से 60,000 करोड़ रुपये एनबीएफसी को ऋण के रूप में देने के लिए उपलब्ध हो सकेंगे. हालांकि, कई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और उद्योग विश्लेषकों ने इस कदम को देरी से उठाया गया छोटा कदम करार देते हुए कहा कि इससे अधिक मदद नहीं मिलेगी. विशेषरूप से आवास और वाहन ऋण उपलब्ध कराने वाले एनबीएफसी को इससे फायदा नहीं होने वाला. इससे सिर्फ लघु अवधि का उपभोक्ता ऋण उपलब्ध कराने वाले और सूक्ष्म वित्त इकाइयों को लाभ होगा.

गौरतलब है कि बुनियादी परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण करने वाले कंपनी समूह आईएलएंडएफएस की कंपनियों द्वारा कुछ कर्जों के भुगतान में चूक के बाद एनबीएफसी क्षेत्र के लिए कर्ज सुविधा में मुश्किलें आ रही हैं. आरबीआई ने एक अधिसूचना में कहा गया है कि बैंकों को एनबीएफसी और एचएफसी पर 19 अक्टूबर की स्थिति के ऊपर के अपने बकाया कर्ज के बराबर राशि की सरकारी प्रतिभूतियों को रिजर्व बैंक से धन लेने के लिए इस्तेमाल करने की छूट होगी.

एसएलआर या सांविधिक तरलता (नकदी लायक प्रतिभूति) अनुपात व्यवस्था के तहत बैंकों को अपनी सावधि और मांग जमाओं के एक हिस्से को आसनी से बिकने वाली सरकारी प्रतिभूतियों में लगाना होता है. अभी यह सीमा 19.5 फीसदी है. रिजर्व बैंक के 27 सितंबर के परिपत्र के अनुसार, बैक को पहली अक्टूबर से एसएलआर की शर्तों का पालन करते हुए 15 फीसदी के बराबर सरकारी प्रतिभूतियों को रिजर्व बैंक के पास रख कर धन लेने की छूट है. उससे पहले नकदी जुटाने की सुविधा के तहत उन्हें 13 फीसदी के बराबर प्रतिभूतियों को नकदी की सुविधा के लिए इस्तेमाल की छूट थी.

रिजर्व बैंक के नये सर्कुलर के अनुसार, बैंकों को शुक्रवार के बाद एनबीएफसी और एचएफसी पर अतिरिक्त बकाये के बराबर की राशि की प्रतिभूतियों पर रिजर्व बैंक से कर्ज लेने की सुविधा होगी. एक विश्लेषक ने कहा कि इस कदम से बैंकों के पास 50,000 से 60,000 करोड़ रुपये की नकदी एनबीएफसी को कर्ज के रूप में देने के लिए उपलब्ध हो सकेगी. एक एनबीएफसी कंपनी के अधिकारी ने कहा कि यह कदम देर से उठाया गया छोटा कदम है.

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि एनबीएफसी में नकदी संकट की वजह से रीयल एस्टेट क्षेत्र को ऋण का प्रवाह प्रभावित हुआ है. केंद्रीय बैंक का इस कदम का मकसद एनबीएफसी को ऋण का प्रवाह बढ़ाना है. यह स्वागत योग्य है. हालांकि, इसका कितना प्रभाव रहेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक मौजूदा माहौल में इस क्षेत्र को कितना कर्ज देते हैं.

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