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सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फलीह का कच्चा तेल उत्पादन बढ़ाने का ऐलान

रियाद : मंगलवार को सऊदी अरब की ओर से आयोजित निवेश सम्मेलन का अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से बहिष्कार किये जाने के बाद यहां के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फलीह ने तेल उत्पादन बढ़ाने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि वैश्विक तेल बाजार में संतुलन बनाने के लिए वह कच्चे तेल […]

रियाद : मंगलवार को सऊदी अरब की ओर से आयोजित निवेश सम्मेलन का अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से बहिष्कार किये जाने के बाद यहां के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फलीह ने तेल उत्पादन बढ़ाने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि वैश्विक तेल बाजार में संतुलन बनाने के लिए वह कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने और अतिरिक्त क्षमता विकसित करने को तैयार है.

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एक निवेश सम्मेलन को संबोधित करते हुए फलीह ने यह भी कहा कि तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) तथा गैर-ओपेक देश दिसंबर में इस संबंध में एक समझौता करने वाले हैं. यह एक सतत् खुला समझौता होगा, जिसमें ऊर्जा बाजार में सभी देश सहयोग जारी रखेंगे. सऊदी अरब ओपेक का प्रमुख तेल उत्पादक देश है.

फलीह ने बिना कोई समयसीमा बताये कहा कि पिछले एक दशक और उससे अधिक समय में इस राजशाही वाले देश का तेल उत्पादन 90 लाख से एक करोड़ बैरल प्रतिदिन रहा है. मैं इस बात को खारिज नहीं करता हूं कि यह उत्पादन आने वाले दिनों में 10 लाख से 20 लाख बैरल प्रतिदिन अधिक होगा. सऊदी अरब पहले ही अपने कच्चे तेल के उत्पादन को एक करोड पांच लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक कर चुका है. कई तेल उत्पादक देशों में गड़बड़ी के चलते सऊदी अरब को यह उत्पादन बढ़ाना पड़ा है.

सऊदी अरब के पास वर्तमान में 20 लाख बैरल प्रतिदिन की अतिरिक्त क्षमता है, जिसका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर किसी भी समय किया जा सकता है. सऊदी अरब के तेल मंत्री का अनुमान है कि कच्चे तेल की मांग वर्तमान में 10 करोड़ बैरल प्रतिदिन के आसपास है और यह अगले तीन दशक में 12 करोड़ बैरल प्रतिदिन से अधिक हो जायेगी. फलीह ने कहा कि ओपेक और गैर-ओपेक तेल उत्पादक 25 देश मिलकर दिसंबर में एक दीर्घकालिक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. इससे पहले ये सभी देश आपस में समन्वय कर मूल्य बढ़ाने में सफल हो चुके हैं.

उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि कम से कम 25 उत्पादक देश आपस में एक समझौता करेंगे. उम्मीद है कि इसमें और भी देश शामिल होंगे. यह बिना किसी निर्धारित अवधि के एक खुला समझौता होगा, जिसमें तेल बाजार को स्थिर रखने और उसकी लगातार निगरानी के लिए मिलकर काम करने पर सहमति होगी. इससे पहले इन्हीं 25 देशों ने नवंबर, 2016 में तेल उत्पादन में कटौती का समझौता किया था.

कच्चे तेल के भारी स्टॉक और तेल के गिरते दाम की समस्या से निपटने के लिए यह समझौता किया गया था. इसमें रूस भी शामिल है. उसके बाद विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम दोगुने से भी अधिक होकर 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गये.

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