खनिज ब्लॉक नीलामी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लाने की तैयारी में सरकार

नयी दिल्ली : खनिज ब्लॉक हासिल करने के लिए पर्यावरण समेत अन्य मंजूरियां लेने में आने वाली दिक्कतों के मद्देनजर सरकार एक ही जगह पर सारी मंजूरी मिलने की प्रणाली यानी एकल खिड़की व्यवस्था लाने की कोशिश कर रही है. खान मंत्रालय के संयुक्त सचिव अनिल कुमार नायक ने बुधवार को यह बात कही. नायक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2018 6:52 PM

नयी दिल्ली : खनिज ब्लॉक हासिल करने के लिए पर्यावरण समेत अन्य मंजूरियां लेने में आने वाली दिक्कतों के मद्देनजर सरकार एक ही जगह पर सारी मंजूरी मिलने की प्रणाली यानी एकल खिड़की व्यवस्था लाने की कोशिश कर रही है. खान मंत्रालय के संयुक्त सचिव अनिल कुमार नायक ने बुधवार को यह बात कही. नायक यहां इंडिया कॉपर फोरम के चौथे संस्करण को संबोधित कर रहे थे.

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उन्होंने कहा कि पर्यावरण, वन एवं भूमि से जुड़ी मंजूरी मिलना इतना आसान नहीं है. इस प्रक्रिया में काफी देरी होती है. हम इसकी जगह एकल खिड़की प्रणाली लाने की कोशिश कर रही है, जहां एक ही स्थान पर सारी मंजूरी मिलने की सुविधा हो. नायक ने इससे पहले कहा था कि जब तक हरित मंजूरी और जमीन से जुड़ी दिक्कतों को दूर नहीं किया जाता है, तो आने वाले दिनों में भारत खनिज ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया में कोई खास प्रगति नहीं कर सकता है. इस्पात मंत्रालय ने भी हाल में एकल खिड़की प्रणाली का समर्थन किया था और कहा था कि वह पूरी तरह से इस प्रणाली के पक्ष में है.

सरकार ने कहा था कि इसके लिए खान, इस्पात और पर्यावरण मंत्रालय साथ मिलकर काम कर रहे हैं. कार्यक्रम में मौजूद स्टरलाइट कॉपर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी रामनाथ ने कहा कि देश में भविष्य में तांबे की मांग बढ़ेगी, लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि कैसे धातु की बढ़ती जरूरतों को पूरा किया जायेगा, जब बिना किसी कारण के देश में परियोजनाओं का विस्तार और संयंत्रों को बंद किया जा रहा है.

इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन इंडिया के प्रबंध निदेशक संजीव रंजन ने सुझाव दिया कि सरकार को तांबा ‘कंसन्ट्रेट’ पर ढाई फीसदी के आयात शुल्क को समाप्त कर इसे शून्य कर देना चाहिए और इसका लाभ इस शृंखला से जुड़े हर किसी को मिलना चाहिए, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे उत्पाद प्रतिस्पर्धी बन सकें. साल 2015 से अब तक 50 खनिज ब्लॉकों की नीलामी की गयी है. सरकार को इस क्षेत्रों के पट्टे की अवधि के दौरान 1.81 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे.

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