मुंबई : विमानन कंपनी जेट एयरवेज ने नकदी संकट के बीच लागत में कटौती करने के लिए 20 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है. इन कर्मचारियों में कुछ वरीष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं. कंपनी के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि कर्मचारियों को अपनी नौकरी जाने का यह नोटिस इस महीने मिला है. एयरलाइन ने हाल ही में इंजीनियरिंग, सुरक्षा तथा बिक्री समेत विभिन्न विभागों के प्रबंधकीय स्तर के 15 कर्मचारियों को कथित रूप से कंपनी छोड़ने को कहा था.
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खराब वित्तीय हालत से जूझ रही जेट एयरवेज ने वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारियों, पायलटों और इंजीनियरों का वेतन भुगतान में देरी कर रही है. सूत्रों ने कहा कि कंपनी ने लगातार दूसरी तिमाही में घाटे की घोषणा के बाद से अगस्त में कर्मचारियों की छंटनी करना शुरू कर दिया था. सितंबर में कर्मचारियों की छंटनी से परहेज किया गया और अक्टूबर में फिर से निकालने का दौर शुरू हो गया है.
सूत्रों ने आरोप लगाया कि कंपनी छोटे-छोटे समूह से नौकरी छोड़ने के लिए कह रही है, ताकि किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाये. सूत्रों ने कहा कि उड़ान के दौरान सेवाएं देने वाले विभागों समेत सहायक प्रबंधक, प्रबंधक, वरिष्ठ प्रबंधक समेत करीब 20 कर्मचारियों को इस महीने निकाला गया है. इनमें से ज्यादातर लोग मुंबई से है. करीब एक दशक पहले जेटएयरवेज ने 1,900 कर्मचारियों को बर्खास्त करने की घोषणा की थी. इसमें 800 वे कर्मचारी भी शामिल थे, जो अस्थायी और प्रशिक्षु थे.
इस मसले को लेकर विवाद हुआ और चेयरमैन नरेश गोयल को मजबूर होकर उन्हें वापस लेना पड़ा था, बल्कि माफी भी मांगी थी. इस बारे में संपर्क किये जाने पर जेट एयरवेज के प्रवक्ता ने इस बारे में कोई सीधा उत्तर नहीं दिया. उसने केवल इतना कहा कि चुनौतीपूर्ण आर्थिक स्थिति को देखते हुए जेट एयरवेज कर्मचारियों की अनुकूलतम संख्या समेत सभी पहलुओं की लगातार आकलन करती रहती है, जिसका मकसद अधिक-से-अधिक दक्षता प्राप्त करना है.
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