शशांक भारद्वाज,
वाइस प्रेसिडेंट,
च्वाइस ब्रोकिंग
यूं तो शेयर मार्केट में अनेकों विशिष्टजनों ने कई थ्योरी प्रतिपादित की है, जो काफी उपयोगी और सफल भी रहीं हैं, पर यहां पर एक व्यापक आधार की प्रभावी थ्योरी पर बातें की जा रही है. नियम कहता है कि शेयर और अन्य वित्तीय उत्पादों के लिए आवंटित धनराशि का 20 से 30 प्रतिशत भाग लिक्विड फंड में रखना चाहिए. जब भी आप निवेश की सोचे, तो उसी समय किसी संकट में निवेश के लिए संरक्षित राशि का प्रावधान कर लें. संकट के समय परिसंपत्तियां औने-पौने मूल्यों पर मिलती हैं, शेयर बाजार में तो विशेषकर. इसका लाभ उठाने के लिए तैयारियां रखनी चाहिए.
यह आपको आशातीत लाभ दिलवाने में बहुत सहायक हो सकती हैं. वैसा पैसा शेयर आधारित म्यूचुअल फंड में कभी मत लगाइए, जिसकी किसी समय विशेष पर निकलने की अनिवार्यता हो.
शेयर बाजार में वही पैसा लगाइये, जो आप अपनी इच्छा से ही निकाल सकते हों. परिस्थितियां आपको पैसा निकालने के लिए विवश न कर दे.
शेयरों में एक दिन में भी बड़ा उछाल आ सकता है और ऐसे में एक दिन का फर्क भी आपकी आय में बड़ा अंतर ला सकता है. जैसे 27 सितंबर को रेमंड के शेयर का मूल्य 11 प्रतिशत बढ़ा था. अगर आपने इसे एक दिन पहले बेच दिया होगा, तो आप के निवेश पर आय में 11 प्रतिशत का अंतर पड़ गया.
एक आम धारणा है कि शेयर दीर्घ अवधि के किये खरीदने चाहिए. पर ज्यादा अच्छी अवधारणा यह है कि शेयर न दीर्घ अवधि के लिए खरीदें न लघु अवधि के लिए. शेयर पर्याप्त अवधि के लिए खरीदें. यह दीर्घ भी हो सकती और लघु भी.
किसी मूल्य व अवधि विशेष पर बेचने के लिए खरीदें. जैसे हो सकता आज जिस शेयर का बहुत मूल्य है आज से कुछ समय पश्चात उसका मुख्य काफी कम हो जाए. एक समय कुछ वर्षों पूर्व डीएलएफ का शेयर 1000 रुपये के आस-पास था. अभी 150 रुपये के आस-पास है. अगर रोम एक दिन में नही बना तो दीर्घ अवधि में मृत्यु भी है.
निवेश एक कलात्मक विज्ञान है. इस अवधारणा पर विश्वास कीजिए. इसका पालन कीजिए. नियमों का पालन अवश्य कीजिए, भले वह शेयर बाजार ही क्यों न हों. वैसे शेयर बाजार में तो अवश्य कीजिए.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.