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थोक महंगाई चार महीने के उच्च स्तर पर, दरें यथावत रख सकता है रिजर्व बैंक

नयी दिल्ली : थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्तूबर महीने में बढ़कर चार माह के उच्च स्तर 5.28 प्रतिशत पर पहुंच गयी. हालांकि, कच्चा तेल के नरम पड़ने तथा रुपये की स्थिरता लौटने के कारण रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में दरें यथावत रख सकता है. थोक मुद्रास्फीति पिछले महीने यानी सितंबर में […]

नयी दिल्ली : थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्तूबर महीने में बढ़कर चार माह के उच्च स्तर 5.28 प्रतिशत पर पहुंच गयी. हालांकि, कच्चा तेल के नरम पड़ने तथा रुपये की स्थिरता लौटने के कारण रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में दरें यथावत रख सकता है.

थोक मुद्रास्फीति पिछले महीने यानी सितंबर में 5.13 प्रतिशत तथा पिछले साल अक्तमूबर में 3.68 प्रतिशत थी. सरकार द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों में नरमी देखी गयी. इनमें सितंबर के 0.21 प्रतिशत की तुलना में अक्तूबर में 1.49 प्रतिशत कमी देखी गयी. इस दौरान सब्जियों के भी भाव गिरे. सब्जियों के भाव आलोच्य माह के दौरान 18.65 प्रतिशत कम हुए. सितंबर में इनमें 3.83 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. ईंधन एवं विद्युत बास्केट में महंगाई सितंबर के 16.65 प्रतिशत की तुलना में अक्तूबर में 18.44 प्रतिशत रही. पेट्रोल और डीजल के भाव इस दौरान क्रमश: 19.85 प्रतिशत और 23.91 प्रतिशत बढ़े. द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस के दाम भी अक्तूबर में 31.39 प्रतिशत बढ़े.

खाद्य पदार्थों में अक्तूबर महीने में आलू के दाम 93.65 प्रतिशत बढ़े. हालांकि, प्याज 31.69 प्रतिशत और दाल 13.92 प्रतिशत सस्ते हुए. अक्तूबर की 5.28 प्रतिशत की थोक महंगाई चार महीनों का उच्चतम स्तर है. इससे पहले जून में यह दर 5.68 प्रतिशत रही थी. अक्तूबर महीने की थोक महंगाई की चाल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई से उलट रही है. खुदरा महंगाई कम होकर एक साल के निचले स्तर 3.31 प्रतिशत पर आ गयी है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अक्तूबर महीने में बढ़ी थोक मुद्रास्फीति में वस्तुओं की अधिक कीमतें तथा रुपये की गिरावट का प्रभाव दिखता है.

खाद्य पदार्थों का सस्ता होना खुदरा मुद्रास्फीति की तुलना में थोक मुद्रास्फीति पर कम ही असर दिखा पाता है. उन्होंने कहा, मौद्रिक नीति को नाप-तौल कर सख्त करने का रुख अपनाने तथा अक्तूबर में थोक मुद्रास्फीति बढ़ने के बाद भी रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति दिसंबर 2018 में होने वाली बैठक में दरों को यथावत रख सकती है क्योंकि अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी आयी है और रुपया तथा कच्चा तेल में सुधार हुआ है. नायर ने कहा कि कच्चा तेल में आयी नरमी तथा रुपये की हालिया मजबूती से अक्तूबर-मार्च की अवधि में थोक मुद्रास्फीति 4.5 से पांच प्रतिशत के दायरे में रहेगी.

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