नयी दिल्ली: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद देश में, खासकर छोटी और मझोली इकाइयों की ओर से अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की मांग तेजी से बढ़ी है. इस उद्योग के जुड़े लोगों का कहना है कि अकांउटिंग साॅफ्टवेयर की मदद से उद्यमों को जीएसटी के अनुपालन में आसानी होती है.
एक सर्वे के अनुसार, जीएसटी के लागू होने के बाद अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की मांग लगभग 200 प्रतिशत बढ़ी है. प्रमुख अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर कंपनी बिजी इन्फोटेक के संस्थापक निदेशक राजेश गुप्ता का कहना है, ‘अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर कंपनियों की मदद से जीएसटी में भ्रांतियों का वातावरण दूर करने में मदद मिली है. इस नयी कर प्रणाली की प्रक्रिया को आज सुगम किया जा सका है.’
उन्होंने अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर उद्योग परकियेगये एक हालिया सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा, ‘जीएसटी लागू होने से पहले भारत का अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर उद्योग लगभग 500 करोड़ रुपये था, जो 2017 में ही जीएसटी लागू होने के बाद तेजी से आयी मांग के कारण बढ़कर 1,500 से 1,800 करोड़ रुपये हो गया. वर्तमान समय में यह 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये है.’
छोटे कारोबारियों और दुकानदारों के लिए जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू किये जाने के बाद इसका रिटर्न तैयार कर उसे आॅनलाइन दाखिल करना खासकर छोटी/मझोली इकाइयों के लिए चुनौती रहा है. अकाउंटिंग साॅफ्टवेयर की सहायता से इसमें आसानी को देखते हुए इसकी मांग बढ़ी है. इस उद्योग का मानना है कि कि ई-कॉमर्स उद्योग के प्रसार, युवाओं के स्व-व्यवसाय के प्रति रुझान आदि कारणों से निकट भविष्य में यह तेजी बनी रहेगी.
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