मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को जारी चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया. हालांकि, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने संकेत दिया है कि यदि मुद्रास्फीति के समक्ष संभावित चुनौतियां नहीं आतीं हैं और इसमें वृद्धि नही होती है तो दर में कटौती की जा सकती है.
मुद्रास्फीति के आंकड़ों में हालिया हैरान करनेवाली गिरावट पर पटेल ने कहा कि यह टिकाऊ है या नहीं, इसका पता आगे और आंकड़े आने के बाद चलेगा. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.7-3.2 प्रतिशत कर दिया है, लेकिन साथ ही खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने का जोखिम भी बताया है. केंद्रीय बैंक का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि का मुद्रास्फीति, कच्चे तेल के दाम और वैश्विक वित्तीय बाजारों पर असर पड़ेगा. पटेल ने ब्याज दरों में कटौती का संकेत देते हुए कहा कि यदि मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने के जोखिम का हमारा अनुमान सही नहीं रहता है, तो इसको लेकर नीतिगत कदम उठाया जा सकता है.
हालांकि, कई विश्लेषकों और बैंकों का मानना है कि गवर्नर और एमपीसी का रुख लंबे समय तक ठहराव का है. अगली दो तीन तिमाहियों तक किसी तरह की प्रतिकूल कार्रवाई की संभावना नहीं है. रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर यथावत रखा है. हालांकि, कई विश्लेषकों ने दूसरी तिमाही के वृद्धि आंकड़े सामने आने के बाद वार्षिक वृद्धि अनुमान को कम करके 7.1 से 7.3 प्रतिशत कर दिया है. डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि आंकड़ों में घट बढ़ के बाद विभिन्न अनुमानों के बारे में निर्णय करना मुश्किल हो गया. उन्होंने कहा कि ताजा आंकड़े हालांकि नीचे हैं, लेकिन एमएसपी का अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अनुमान अभी भी मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत रहने का है. जो कि उसके मध्यकालिक लक्ष्य चार प्रतिशत से ऊपर है.
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