मुंबई : उद्योगपति राहुल बजाज अपनी बेलाग टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं. महीने भर पहले जबकि रिजर्व बैंक और केंद्र के बीच सार्वजनिक विवाद चरम पर था, उन्होंने रीढ़ दिखाने के लिए गवर्नर उर्जित पटेल की सराहना की थी.
उन्हीं पटेल ने केंद्रीय बैंक के केंद्रीय बोर्ड की की दो लंबी चली बैठकों के बाद चार दिन बाद होने वाली तीसरी बैठक का इंतजार करने से पहले सोमवार को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया.
कार्यकाल समाप्त होने के आठ महीने पहले उनका त्यागपत्र बोर्ड के सदस्यों सहित तमाम लोगों के लिए हतप्रभ करने वाला रहा. वह आजादी के बाद से पांचवें गवर्नर हैं, जिन्होंने इस्तीफा दिया है.
1957 में वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी के साथ विवाद के बाद बेनेगल रामा राउ ने इस्तीफा दिया था. केआर पुरी ने मई 1977 और आर एन मल्होत्रा ने 1990 और एस वेंकटरमनन ने दिसंबर, 1992 में इस्तीफा दिया था.
संभवत: पटेल ने इसी तरह की आचरण दिखाया है जिसकी वजह से बजाज ने उनकी तारीफ की थी. पटेल ने रिजर्व बैंक का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किये जाने (जनवरी-सितंबर 2013-16) के बाद भारत की नागरिकता ली.
उससे पहले उनके पास केन्या का पासपोर्ट था. उन्होंने मुंबई में मिंट रोड (भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्यालय) की 19वीं मंजिल पर रघुराम राजन का स्थान लिया था.
राज पटेल के स्वभाव के उलट मुखर तरीके से बोलने वाले थे. पटेल के ही कार्यकाल में नोटबंदी का फैसला हुआ जिसके लिए केंद्रीय बैंक की कड़ी आलोचना हुई.
आलोचना हुई की नोटबंदी लागू करने का तरीका खराब था. हालांकि, आरबीआर्इ इस मामले में सरकार के साथ मजबूती से खड़ा रहा. गवर्नर बनने के बाद भी पटेल कारमाइकल रोड पर आधिकारिक बंगले में नहीं गये.
वह डिप्टी गवर्नर के रूप में उन्हें मिले बंगले में ही अपने बीमार मां के साथ रहे. पटेल ने गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के मोर्च पर राजन की लड़ाई को आगे बढ़ाया. उनकी इसी प्रयास की वजह से निपटान होता दिखने लगा.
उन्होंने मजबूत तरीके से सबसे बड़े संस्थानों में से एक की स्वायत्तता की रक्षा की. निश्चित रूप से पटेल के इस्तीफे से सरकार को राजनीतिक हमला झेलना पड़ेगा. यह घटनाक्रम संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुआ है और विपक्ष ने पहले ही साफ कर दिया है कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता एक बड़ा मुद्दा रहेगा.
हालांकि, हाल में इस तरह की अटकलें थीं कि पटेल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है लेकिन रिजर्व बैंक की आखिरी पांच दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक के समय वह पूरी तरह स्वस्थ नजर आये.
पटेल मितभाषी थे. वह सुर्खियों में आने से बचते थे. पर बैंकों के वसूली में फंसे कर्जों के खिलाफ कार्रवाई के बीच उन्होंने पहली बार यह मुद्दा उठाया कि निजी बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में रिजर्व बैंक अधिकार सीमित हैं.
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने उनसे अलग राय रखी. रिजर्व बैंक की स्वायत्तता पर हमले की बात कभी इस्तेमाल नहीं की गयी धारा सात को लागू करने के उल्लेख से शुरू हुई. इससे मतभेद सार्वजिनक विवाद में बदल गया. माना जा रहा है कि इसी की वजह से अंत में पटेल को इस्तीफा देना पड़ा. पटेल ने हालांकि सिर्फ यह कहा है कि वह व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं.