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पूर्व सीईए अरविंद सुब्रमणियम ने सरकार पर फिर साधा निशाना, बोले- रिजर्व बैंक की स्वायत्तता के साथ समझौता नहीं

मुंबई : पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमणियम ने बुधवार को परोक्ष रूप से एक बार फिर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता ‘पवित्र’ है और इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए. सरकार की ओर से रिजर्व बैंक की कमान एक पूर्व नौकरशाह को सौंपे जाने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2018 5:50 PM

मुंबई : पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमणियम ने बुधवार को परोक्ष रूप से एक बार फिर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता ‘पवित्र’ है और इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए. सरकार की ओर से रिजर्व बैंक की कमान एक पूर्व नौकरशाह को सौंपे जाने के एक दिन बाद सुब्रमणियम ने यह बात कही है. उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली की मजबूती बहाल करने के लिए पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल द्वारा उठाये गये कदम संस्थान के लिए किसी नुकसान के आकलन में महत्वपूर्ण होंगे.

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सुब्रमणियम ने यहां 5वें इंडिया इकोनॉमिक कानक्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि यह काफी महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में क्या यह चीज (वित्तीय प्रणाली फिर से ठीक करने की योजना) बरकरार रहेगी अथवा नहीं. यही इस मापने का पैमाना हो सकता है कि बड़े संस्थागत मोर्चे पर क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि कई ऐसी अच्छी वजहें हैं, जिनके चलते रिजर्व बैंक की छवि बहुत अच्छी हैं. निर्णय तथा कामकाज और संचालन की स्वायत्तता को बनाये रखना पूरी तरह एक पवित्रता काम है. हमें इस मामले में कोई समझौता नहीं करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पटेल के कार्यकाल में रिजर्व बैंक ने ‘सराहनीय’ काम किया है. बैंक ने त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए), एनबीएफसी के मुद्दों से निपटने और विभिन्न निजी बैंकों से निपटने जैसे कई मुद्दे रहे हैं, जिनमें उन्होंने सराहनीय काम किया. यहां यह उल्लेखनीय है कि उर्जित पटेल के इस्तीफे से करीब एक सप्ताह पहले ही रिजर्व बैंक और सरकार के बीच कम से कम दो मुद्दों पर मतभेदों की खूब चर्चा रही. इनमें पीसीए और एनबीएफसी के मुद्दे प्रमुख हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार चाहती थी कि रिजर्व बैंक बैंकों के खिलाफ त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई यानी पीसीए के मामले में उदार रुख अपनाये, ताकि ज्यादा से ज्यादा बैंक कर्ज उपलब्ध करा सकें. वहीं, सरकार ने गैर-बैंकिंग वित्त क्षेत्र में भी तरलता समर्थन बढ़ाने पर भी जोर दिया, जिसे रिजर्व बैंक ने उस समय नकार दिया.

हालांकि, सुब्रमणियम ने इस बात का संकेत दिया कि जहां तक एनबीएफसी और आईएल एंड एफसी संकट की बात है, तो इस मामले में रिजर्व बैंक की तरफ से कुछ चीजों को नजरंदाज किया गया. बहरहाल, इसी कार्यक्रम में बोलते हुए पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी वित्तीय नियामकों की स्वतंत्रता पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि ये नियामक बुनियाद हैं और इन्हें मजबूत किया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारी वृद्धि स्वस्थ और स्थायी हो इन संस्थानों को स्वतंत्र निकाय के तौर पर मजबूत बनाये रखना चाहिए.

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