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लघु आैर मझोले उद्यमों को कर्ज में आसानी के लिए व्यक्तिगत वित्तीय साख को बढ़ावा देना चाहता है रिजर्व बैंक

मुंबई : आरबीआर्इ के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि रिजर्व बैंक लघु एवं मझोले उद्यमों को कर्ज में आसानी के लिए पूरे क्षेत्र के लिए नियमों में बार-बार रियायत देने के बजाए इकाइयों की व्यक्तिगत वित्तीय साख के आधार पर उन्हें सहायता देने की व्यवस्था करना चाहता है. इसके लिए इकाइयों की वित्तीय […]

मुंबई : आरबीआर्इ के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि रिजर्व बैंक लघु एवं मझोले उद्यमों को कर्ज में आसानी के लिए पूरे क्षेत्र के लिए नियमों में बार-बार रियायत देने के बजाए इकाइयों की व्यक्तिगत वित्तीय साख के आधार पर उन्हें सहायता देने की व्यवस्था करना चाहता है. इसके लिए इकाइयों की वित्तीय साख की सार्वजनिक पंजिका का विचार है. आचार्य का यह बयान आरबीआई के निदेशक मंडल की ऐसी ‘सलाह’ के बाद आया है कि वर्तमान माहौल में 25 करोड़ रुपए के नीचे के कर्ज वाली सूक्ष्म, लघु एवं मझाेली इकाइयों के संकटग्रस्त ऋण खातों के पुनर्गठन की योजना लायी जाये.

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नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से प्रभावित छोटे कारोबारियों पर इस समय दबाव को देखते हुए सरकार चाहती है कि इस एमएसएमई क्षेत्र को कर्ज चुकाने में हो रही दिक्कतों को देखते हुए कुछ मोहलत दी जाये. सरकार अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले कमजोर बैंकों पर तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) नियमों के तहत कर्ज की पाबंदी में भी ढील देने की वकालत कर रही है. रिजर्व बैंक के सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों में से 11 पर पीसीए के तहत पाबंदी लगा रखी है, क्योंकि इनके अवरुद्ध कर्जों का अनुपात ऊंचा है. पीसीए में ढील से बैंक अधिक कर्ज दे सकेंगे.

आईआईटी-बांबे के सालाना टेकफास्ट कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आरबीआई में हम सूक्ष्म उद्यमों के कर्ज की समस्या का बुनियादी समाधान निकालने को आतुर हैं, बनिस्बत इस बात के कि जब ऐसी इकाइयां कर्ज समय से न चुका सकें, तो उन्हें छह या नौ महीने का समय दे दिया जाये. प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान के छात्र रहे आचार्य ने कहा कि आरबीआई सार्वजनिक वित्तीय साख पंजिका बना रहा है. उससे कर्ज लेने वालों का पूरा ब्योरा उपलब्ध होगा, जिसमें पहले लिये गये कर्जों का इतिहास तथा इकाई की आय के प्रवाह आदि की जानकारी है.

उन्होंने कहा कि इससे बैंक को भरोसा बढ़ेगा और कर्ज लेने वालों के लिए ब्याज दर कम होगा, क्योंकि जोखिम आकलन सुगम होगा. आचार्य ने यह भी कहा कि उद्यमियों को केवल इस आधार पर कर्ज देना ठीक नहीं है कि उन्हें ऋण दिया जाना है. वास्तव में उन्हें सोच-समझकर कर्ज दिये जाने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि कौशल विकास पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि वृद्धि के लिए यह एक महत्वपूर्ण निर्धारक है.

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