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निवेश करते समय रहें सजग, अपनी गाढ़ी कमाई को बचाएं पोंजी स्कीम से, जानें इस स्कीम के बारे में
आर्थिक धोखेबाजी के जाल में आज भी सैकड़ों लोग फंस रहे हैं और मेहनत से कमाये अपने पैसों को थोड़ा अधिक रिटर्न पाने की लालच में गंवा रहे हैं. यह एक ऐसा जाल है, जिसमें छोटे निवेशक बड़ी आसानी से फंस जाते हैं. वैसे इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही […]
आर्थिक धोखेबाजी के जाल में आज भी सैकड़ों लोग फंस रहे हैं और मेहनत से कमाये अपने पैसों को थोड़ा अधिक रिटर्न पाने की लालच में गंवा रहे हैं. यह एक ऐसा जाल है, जिसमें छोटे निवेशक बड़ी आसानी से फंस जाते हैं.
वैसे इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, परंतु उसमें पूरी सफलता नहीं मिल पायी है. लोगों को फंसाने के इस जाल को पोंजी स्कीम के नाम से जाना जाता है. यह पोंजी स्कीम है क्या, इसमें लोग कैसे फंसते हैं, इसी को लेकर प्रस्तुत है आज का अंक, जिससे भविष्य में आप हमेशा सावधान रह सकें.
हर कोई अपनी कमाई का एक हिस्सा भविष्य के लिए सुरक्षित रखना चाहता है और साथ में यह भी चाहता है कि उसका निवेश उसे एक अच्छा रिटर्न भी दे. इसी बेहतर रिटर्न पाने की लालसा में छोटे व अज्ञानी निवेशक पोंजी योजनाओं के चक्कर में फंस जाते हैं और फिर अचानक से अपनी सारी जमा पूंजी लुटा बैठते हैं. इसलिए यह जानना जरूरी है कि ये पोंजी स्कीम क्या होती है और इन्हें पोंजी क्यों कहा जाता है.
क्या होता है पोंजी स्कीम
आर्थिक धोखाधड़ी की ऐसी योजना जिसमें भोले-भाले निवेशकों को अधिक धन कमाने का लालच देकर चुंगल में फंसा लिया जाता है और फिर कुछ समय बाद उनका पूरा पैसा लेकर चंपत होने की योजना को पोंजी स्कीम कहा जाता है. दरअसल पोंजी स्कीम का नाम चार्ल्स पोंजी नामक एक इटली के बिजनेसमैन के नाम पर जाना जाता है. इसने इटली, कनाडा व अमेरिका से अपने धोखेबाजी के धंधे की नींव रखी.
क्या करें क्या नहीं
गैरपंजीकृत निवेश योजनाएं
वैसी योजनाएं जो रेगुलेटर (आरबीआई और सेबी) से पंजीकृत न हो, उसे कभी स्वीकार नहीं करें और कभी भी उसमें निवेश न करें.
अत्यधिक रिटर्न देने का दावा
सामान्य रूप से बाजार में प्रचलित दर से अत्यधिक दर पर रिटर्न देने वाली योजनाएं हमेशा से जोखिम से भरी होती हैं. इसलिए इस तरह की योजनाओं से हमेशा दूरी बनाये रखें.
लगातार बेहतर रिटर्न देने का दावा
बाजार कभी भी स्थिर नहीं होता, ऐसे में लगातार उच्च दर पर रिटर्न देने का दावा करनेवाली योजनाएं जोखिम भरा होता है, क्योंकि ऐसा संभव नहीं.
ऑनलाइन सर्च करें
जो भी योजनाएं जिस कंपनी के नाम पर आपके सामने पेश की जा रही है, उसकी जानकारी इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त करें. यह सुनिश्चित कर लें कि कंपनी को पैसे जमा लेने का परमिशन मिला है या नहीं? इसके लिए आरबीआइ और सेबी के वेब साइट पर जाकर कंपनी की पूरी जानकारी जरूर देखनी चाहिए. इससे यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जाता है.
तुरंत निवेश न करें
कभी भी पैसे का भुगतान एडवांस में न करें. इसके लिए उसके डॉक्यूमेंड की मांग करें. मिलने पर पूरा ध्यानपूर्वक डॉक्यूमेंट पढ़ें और उसमें छुपी हुई बातों पर नजर रखें.
कैसे होती है धोखाधड़ी
पोंजी स्कीम में कम समय में अधिक कमाने का लालच देकर लोगों को जोड़ा जाता है. बाजार की तुलना में जरूरत से अधिक कमाने के लालच में कई छोटे व मध्यम दर्जे के निवेशक अपना पैसा इनकी योजना में निवेश कर देते हैं. इसमें एक के बाद एक कई निवेशकों को जोड़ने का सिलसिला चलता रहता है. एक निवेशक को दूसरे निवेशक का पैसा देकर खुश कर दिया जाता है. वह समझता है कि उसे अपने निवेश के एवज में बढ़िया रिटर्न मिल रहा है.
वह ऐसी योजना में और अधिक पैसा लगाने लगता है. और बहुत ही कम समय में ऐसी योजनाओं में करोड़ों करोड़ का निवेश होने लगता है. लेकिन जब इस निवेश की शृंखला टूटती है, तो पहले वाले निवेशक को उसका लाभ नहीं मिलता और अचानक ही सारी योजना बंद की स्थिति में आ जाती है. तब इसके संचालक इसे बंद घोषित कर रफूचक्कर हो जाते हैं. और इस तरह लोगों को पैसा वापस मिलने की गुंजाइश खत्म हो जाती है. इन योजनाओं के चक्कर में फंसे लोग अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठते हैं.
इमेल और मैसेज भेजकर देते है ठगी को अंजाम
पोंजी स्कीम संचालक नयी कंपनी खोलते है, जिसमें पहले दो चार लोगों को कंपनी में वेतन या कमीशन सहित वेतन या पूरी तरह कमीशन बेस पर रखते हैं.
इन एजेंटो का काम होता है कि कंपनी की स्कीम के बारे में लोगों को बताना. वह एजेंटो तथा अन्य माध्यमों से लोगों का डाटा लेकर उन्हें फोन पर या इमेल भेजकर लुभावनी स्कीम बताया जाता है कि इतने पैसे जमा करें तो आपको उसके दोगुने पैसे इतने समय के भीतर मिलेंगे. अपनी कंपनी से जुड़ने को कहते है, और बिना देरी किये जुड़ने के लिए अन्य लाभ का भी लालच दिया जाता है.
नाम व राज्य बदल रहते हैं सक्रिय
पोंजी स्कीम के संचालक एक राज्य से ठगी को अंजाम देने के बाद अपना ठिकाना बदलते रहते हैं. इसके साथ ही यह ठग कंपनी का नाम बदलकर अन्य राज्यों में जाकर नये नाम से एक नयी कंपनी खोलते हैं और फिर वही ठगी का धंधा शुरू कर लेते हैं व आम जन को बोवकूफ बनाते रहते हैं.
आर्थिक ठगी के चर्चित मामले
रोज वैली चिट फंड
इस कंपनी ने इस तरह की पोंजी स्कीम को चला कर आम लोगों से करोड़ों रुपये जमा करा लिये हैं. यह अब तक की सबसे बड़ी चिट फंड स्कैम है जिसमें लगभग 60 हजार करोड़ रुपये ठगी की गयी है.
श्रद्धा चिट फंड
2006 में श्रद्धा समूह की स्थापना हुई थी जिसने इसने पहले निवेश करनेवालों को 40 प्रतिशत का रिटर्न देते हुए बहुत की कम समय में अपना नेटवर्क बंगाल के बाहर स्थापित कर लिया. 2013 में यह स्कीम धराशायी हो गयी जिसमें 17 लाख लोगों के लगभग 30 हजार करोड़ रुपये डूब गये.
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