2030 तक 5,000 अरब डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए नीति आयोग ने पेश की रणनीति
नयी दिल्ली : नीति आयोग ने देश की आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ाकर 8-9 प्रतिशत करने तथा 2030 तक 5,000 अरब डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने के इरादे से बुधवार को बहुप्रतीक्षित ‘नये भारत के लिए रणनीति @75′ दस्तावेज जारी किया. देश के चहुंमुखी विकास को बढ़ावा देने के लिए बहु-स्तरीय रणनीति पेश करते हुए दस्तावेज […]
नयी दिल्ली : नीति आयोग ने देश की आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ाकर 8-9 प्रतिशत करने तथा 2030 तक 5,000 अरब डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने के इरादे से बुधवार को बहुप्रतीक्षित ‘नये भारत के लिए रणनीति @75′ दस्तावेज जारी किया.
देश के चहुंमुखी विकास को बढ़ावा देने के लिए बहु-स्तरीय रणनीति पेश करते हुए दस्तावेज में कहा गया है कि पर्याप्त वृद्धि सृजित करने तथा सभी के लिए समृद्धि हासिल करने को लेकर 2022-23 तक 9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर जरूरी है. पंद्रह अगस्त 2022 को भारत की आजादी के 75 साल हो जायेंगे. दस्तावेज जारी करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ठोस और मजबूत नीति अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाती है और यह अंतत: उन्हें गरीबी से निकालकर बेहतर जीवन प्रदान करती है. विकास रणनीति में किसानों की आय दोगुनी करना, मेक इन इंडिया को गति देना, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा नवप्रवर्तन माहौल का उन्नयन तथा फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) तथा पर्यटन जैसे उभरते क्षेत्रों को बढ़ावा देना शामिल हैं.
दस्तावेज में कहा, 2018-23 के दौरान 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य हासिल करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर को निरंतर गति देना होगा. इससे वास्तविक आधार पर अर्थव्यवस्था का आकार 2017-18 के 2700 अरब डाॅलर से बढ़ कर 2022-23 तक 4,000 अरब डालर का हो जायेगा. इसमें कहा गया है, इसके अलावा 2022-23 तक 9 से 10 प्रतिशत की तीव्र आर्थिक वृद्धि दर के साथ यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह वृद्धि समावेशी, सतत, स्वच्छ और संगठित रूप से हो. देश की आर्थिक वृद्धि दर 2017-18 में 6.7 प्रतिशत थी. दस्तावेज में सकल स्थिर पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) द्वारा आंके जाने वाली निवेश दर को भी मौजूदा 29 प्रतिशत से बढ़ा कर 2022 तक 36 प्रतिशत करने की बात कही गयी है.
इसमें कहा गया है कि देश अब आर्थिक संक्रमण के दौर को पूरा करने के करीब है और इसके साथ प्रति व्यक्ति आय 2022-23 में बढ़ कर 3,000 डाॅलर हो जायेगी जो 2017-18 में 1,900 डाॅलर था. दस्तावेज के अनुसार ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार का विस्तार कर तथा कृषि उपज विपणन समिति कानून की जगह कृषि उपज पशुधन विपणन (एपीएलएम) लाकर कृषि क्षेत्र में किसानों को कृषक उद्यमी बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए. इसमें कहा गया है, एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का गठन, मुक्त निर्यात व्यवस्था तथा जरूरी जिंस कानून को समाप्त करना कृषि वृद्धि के लिए जरूरी है.
दस्तावेज में अधिकतम रोजगार सृजित करने, श्रम कानूनों को संहिता रूप देने तथा एप्रेन्टिसशिप को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है. साथ ही इसमें देश भर में 1,50,000 स्वास्थ्य केंद्र खोलने के साथ आयुष्मान भारत के सफल क्रियान्वयन की भी वकालत की गयी है. यह दस्तावेज सरकार (केंद्र, राज्य तथा जिला स्तर पर) के भीतर 800 से अधिक पक्षों तथा विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है. इसमें कुल 41 अध्याय हैं. इसे चार खंडों चालक (ड्राइवर्स), बुनियादी ढांचा, समावेश तथा राजकाज में बांटा गया है.
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