बुधवार को फिर हड़ताल पर रहेंगे सरकारी बैंकों के कर्मचारी, नकदी संकट के साथ सेवाओं पर पड़ सकता है प्रभाव
नयी दिल्ली : विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में प्रस्तावित विलय के खिलाफ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों की यूनियन के बुधवार को हड़ताल का आह्वान किया है. इससे सरकारी बैंकों में बुधवार को कामकाज प्रभावित होने के आसार अधिक हैं. एक सप्ताह से भी कम समय में यह दूसरी बैंक […]
नयी दिल्ली : विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में प्रस्तावित विलय के खिलाफ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों की यूनियन के बुधवार को हड़ताल का आह्वान किया है. इससे सरकारी बैंकों में बुधवार को कामकाज प्रभावित होने के आसार अधिक हैं. एक सप्ताह से भी कम समय में यह दूसरी बैंक हड़ताल है. बैंक अधिकारियों की यूनियन ने प्रस्तावित विलय तथा वेतन संशोधन पर बातचीत को जल्दी निष्कर्ष पर पहुंचाने को लेकर पिछले शुक्रवार (21 दिसंबर) को हड़ताल की थी.
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अधिकतर बैंकों ने पहले ही ग्राहकों को हड़ताल के बारे में सूचना दे दी थी. निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज आम दिनों की तरह सामान्य रहेगा. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने हड़ताल का आह्वान किया है. यूएफबीयू नौ बैंक यूनियनों का संगठन है. इसमें ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), नेशनल कनफेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लायज (एनसीबीई) और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) आदि यूनियनें शामिल हैं.
यूएफबीयू का दावा है कि उसके सदस्यों की संख्या 10 लाख से अधिक है. एआईबीईए के महासिचव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त ने सुलह सफाई के लिए बैठक बुलायी थी, लेकिन उससे कोई हल नहीं निकला. इसीलिए सभी यूनियनों हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान न तो सरकार और न ही संबंधित बैंकों ने आगे आकर यह भरोसा नहीं दिलाया कि वे विलय के लिए कदम नहीं उठायेंगे.
यूनियनों ने दावा किया कि सरकार विलय के जरिये बैंकों का आकार बढ़ाना चाहती है, लेकिन यदि देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भी मिलाकर एक कर दिया जाये, तो भी विलय के बाद अस्तित्व में आयी इकाई को दुनिया के टॉप 10 बैंकों में स्थान नहीं मिलेगा. सरकार ने सितंबर में सार्वजनिक क्षेत्र के विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय करने की घोषणा की थी. इससे देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आयेगा.
वेतन संशोधन पर नेशनल आर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा कि वेतन संशोधन नवंबर, 2017 से लंबित है. अब तक इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने वेतन में 8 फीसदी वृद्धि की पेशकश की है, जो यूएफबीयू को स्वीकार्य नहीं है.
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