नयी दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को इस बात का भरोसा है कि अगले साल यानी वर्ष 2019 में देश से होने वाला निर्यात आर्थिक वृद्धि को आगे ले जायेगा. उन्होंने 2019 को लेकर अपनी योजनाओं पर कहा कि भारत हर भौगोलिक क्षेत्र को ध्यान में रखकर विशेष रणनीति तैयार कर रहा है. हमारी योजना 2019 को ऐसे वर्ष के रूप में स्थापित करने की है, जहां निर्यात देश की आर्थिक वृद्धि को आगे ले जायेगा.
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प्रभु ने कहा कि पिछले 14 महीनों में भारत ने निर्यात के मोर्चे पर ‘काफी अच्छा’ प्रदर्शन किया है, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं हैं. 2019 के लिए हमारी योजनाओं में अफ्रीफी महाद्वीप और लैटिन अमेरिका को होने वाले निर्यात को बढ़ावा देना शामिल है. उन्होंने कहा कि भारत का निर्यात उस समय बढ़ रहा है, जब वैश्विक व्यापार आयात शुल्क और संरक्षणवाद में वृद्धि और मांग में सुस्ती से गुजर रहा है.
केंद्रीय मंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा कि मैं निर्यात प्रदर्शन से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हूं. मैं चाहता हूं कि देश की आर्थिक वृद्धि की चाल निर्यात से तय हो. ऐसा करना बहुत चुनौतीपुर्ण है, क्योंकि सभी देश अपने स्तर पर कुछ सीमाएं निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं. साल 2011-12 में देश का निर्यात करीब 300 अरब डॉलर था. 2017-18 के दौरान यह करीब 10 फीसदी बढ़कर 303 अरब डॉलर हो गया.
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार मोर्चे पर बढ़ेते तनाव का असर वैश्विक आर्थिक वृद्धि पर पड़ेगा. अमेरिका ने इस्पात और एल्युमीनियम के कुछ चुनिंदा उत्पादों पर अधिक आयात शुल्क लगाकर व्यापार युद्ध जैसी स्थिति खड़ी कर दी है. प्रभु ने कहा कि 2019 में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि पहले शुरू किये गये सभी उपायों और नये उपायों का एकीकृत किया जाये, ताकि 2019 निर्यात के लिहाज से नया साल साबित हो सके. इसलिए मैं रणनीति तैयार कर रहा हूं. हर भौगोलिक क्षेत्र के लिए हम विशेष रणनीति बनायेंगे.
प्रभु ने 2019 की योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि अफ्रीकी महाद्वीप में घरेलू निर्यातकों के लिए काफी संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय अफ्रीका के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते के कुछ प्रकार का खाका बना रहा है. इसी तरह की योजना हमारी लैटिन अमेरिका सहित अन्य क्षेत्रों के लिए भी है.
प्रभु ने उम्मीद जतायी कि हाल ही में घोषित कृषि-निर्यात नीति से कृषि क्षेत्र के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. कृषि क्षेत्र का निर्यात अगले पांच साल में बढ़कर 60 अरब डॉलर और 10 साल में बढ़कर 100 अरब डॉलर हो जायेगा.
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