नयी दिल्ली : वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने यह दावा किया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में देश के सरकारी बैंकों का गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) करीब 23,000 करोड़ रुपये घटा है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, सार्वजनिक बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 60,726 करोड़ रुपये की वसूली भी की है. यह पिछले साल की समान अवधि में की गयी वसूली के दो गुणा से अधिक है.
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कुमार ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों का समग्र एनपीए मार्च, 2018 में 9.62 लाख करोड़ रुपये के शिखर पर पहुंचने के बाद से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 26,860 करोड़ रुपये कम हुआ है. वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक बैंकों के 31 से 90 दिनों के बीच के बकाये के गैर-एनपीए खाते जून, 2017 के 2.25 लाख करोड़ रुपये से 61 फीसदी कम होकर सितंबर 2018 में 0.87 लाख करोड़ रुपये पर आ गये हैं.
कुमार ने कहा कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के जरिये ऋणदाता तथा कर्जदार के संबंध में बदलाव से समाधान प्रक्रिया मजबूत हुई है. इसके अलावा, जानबूझकर डिफॉल्ट करने वाले तथा संबंधित व्यक्तियों पर रोक लगाने से इस साल रिकॉर्ड वसूली में मदद मिली है. उन्होंने कहा कि सुधारों के साथ ही सार्वजनिक बैंकों का पुनर्पूंजीकरण भी किया गया, जिससे संपत्ति की खराब गुणवत्ता की समस्या निराकरण हुआ.
इस बीच रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के दायरे में शामिल बैंकों के एकीकृत एनपीए में गैर-पीसीए बैंकों की तुलना में बेहतर सुधार हुआ है. कुल 21 सार्वजनिक बैंकों में से 11 सार्वजनिक बैंक पीसीए में शामिल हैं. पीसीए के तहत रखे गये बैंकों की वसूली भी तेज हुई है तथा उनके जमा एवं ऋण वितरण में भी वृद्धि देखी गयी है.
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