CCI की मोदी सरकार से मांग : Income Tax छूट की सीमा को दोगुना कर 5 लाख रुपये किया जाये

नयी दिल्ली : भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से आगामी आम बजट में आयकर छूट की सीमा को दोगुना कर पांच लाख रुपये करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही, उद्योग मंडल ने बचत को प्रोत्साहन देने के लिए धारा 80सी के तहत कटौती की सीमा को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये करने की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2019 6:45 PM

नयी दिल्ली : भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से आगामी आम बजट में आयकर छूट की सीमा को दोगुना कर पांच लाख रुपये करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही, उद्योग मंडल ने बचत को प्रोत्साहन देने के लिए धारा 80सी के तहत कटौती की सीमा को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये करने की भी मांग की है. आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है.

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सीआईआई ने वित्त मंत्रालय को सौंपी अपनी बजट पूर्व सिफारिशों में सुझाव दिया है कि व्यक्तिगत आयकर के सबसे ऊंचे स्लैब को भी 30 से घटाकर 25 फीसदी कर दिया जाना चाहिए. इसके अलावा, चिकित्सा खर्च और परिवहन भत्ते पर भी आयकर छूट मिलनी चाहिए. फिलहाल, व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये है. ढाई लाख से पांच लाख रुपये की आय पर पांच फीसदी टैक्स लगता है. वहीं, 5 से 10 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी तथा 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी आयकर लगता है.

सीआईआई ने सुझाव दिया है कि पांच लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री किया जाये. इसके अलावा, 5-10 लाख रुपये की आय पर कर की दर घटाकर 10 फीसदी और 10 से 20 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी तथा 20 लाख रुपये से अधिक की आय पर 25 फीसदी आयकर लगाया जाना चाहिए. आगामी आम चुनाव के मद्देनजर वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को 2019-20 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगे. उसके बाद चुनकर आने वाली नयी सरकार ही पूर्ण बजट पेश करेगी.

सीआईआई ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 25 फीसदी कर दिया जाना चाहिए. बाद में इसे चरणबद्ध तरीके से घटाकर 18 फीसदी पर लाया जाये. उद्योग मंडल ने यह भी कहा है कि आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत कर कटौती सीमा को 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये किया जाना चाहिए.

सीआईआई ने कहा है कि चिकित्सा खर्च और परिवहन भत्ते की प्रतिपूर्ति की छूट फिर से लायी जानी चाहिए. इसके साथ ही, 40,000 रुपये की मानक कटौती को भी लागू रखा जाना चाहिए. उद्योग संगठन ने कहा है कि दीर्घकालिक पूंजीगत नुकसान को अल्पकालिक पूंजी लाभ के साथ समायोजन की अनुमति होनी चाहिए.

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