इंदौर : फर्जी फर्मों के नाम पर कारोबार दिखाकर जीएसटी की करीब 34 करोड़ रुपये की कथित चोरी के मामले के एक और आरोपी को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विभाग ने बुधवार को गिरफ्तार किया. अधिकारियों के अनुसार, उसे इंदौर लाया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक, जीएसटी प्रणाली लागू होने के करीब डेढ़ साल बाद सामने आयी इस अंतरराज्यीय धांधली के लिए फर्जी इनवॉयस और ई-वे बिलों आदि के जरिये कारोबार दिखाया जाता था.
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सीजीएसटी विभाग के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि फर्जीवाड़े के इस मामले में मुंबई से मेहुल खिरैया (40) को सीजीएसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है. उसे इंदौर लाया जा रहा है. इस मामले में मुंबई के ही रहने वाले जगदीश धीरजलाल कनानी (59) को पहले ही पकड़ा जा चुका है. वह न्यायिक हिरासत के तहत इंदौर में जेल में बंद है.
अधिकारी ने बताया कि कनानी और खिरैया ने फर्जी फर्मों के जरिये धातुओं के कबाड़ और अन्य वस्तुओं का लगभग 190 करोड़ रुपये का कागजी कारोबार दिखाया. इस कारोबार पर 18 फीसदी की दर से करीब 34 करोड़ रुपये की जीएसटी की अदायगी बनती थी, जिसे सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया, लेकिन जालसाजी करके उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल लिया गया. बाद में इनमें से कई फर्मों को बंद कर दिया गया.
अधिकारी ने बताया कि दोनों आरोपियों ने खासकर गरीब तबके के लोगों को धन का लालच देकर उनकी पहचान और पते के दस्तावेज लिये. इन दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी प्रणाली के तहत मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में कई फर्म पंजीकृत कराये गये. उन्होंने बताया कि जांच में पाया गया कि इनमें से अधिकांश फर्मों के पंजीकृत परिसरों से कोई भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं हो रही थी. यही नहीं, अधिकांश मामलों में संबंधित परिसरों के वास्तविक मालिकों को उनके वहां किसी भी व्यावसायिक गतिविधि की जानकारी ही नहीं थी.
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