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आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री का आरोप : राज्यों से सलाह के बिना बैठक का एजेंडा तय करती है जीएसटी परिषद

नयी दिल्ली : आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री यानमाला रामकृष्णुडु ने गुरुवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने राज्य सरकारों से परामर्श किये बिना बैठक के मुद्दे तय किये. उन्होंने इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की. हालांकि, उन्होंने जीएसटी परिषद के विभिन्न फैसलों का समर्थन किया है. गुरुवार को ही […]

नयी दिल्ली : आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री यानमाला रामकृष्णुडु ने गुरुवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने राज्य सरकारों से परामर्श किये बिना बैठक के मुद्दे तय किये. उन्होंने इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की. हालांकि, उन्होंने जीएसटी परिषद के विभिन्न फैसलों का समर्थन किया है. गुरुवार को ही छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए जीएसटी परिषद ने गुरुवार को जीएसटी छूट सीमा को बढ़ाकर दोगुना कर दिया. अब यह सीमा 40 लाख रुपये होगी.

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इसके अलावा, अब डेढ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली इकाइयां एक फीसदी दर से जीएसटी भुगतान की कम्पोजिशन योजना का लाभ उठा सकेंगी. कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने वालों को सालाना सिर्फ एक कर रिटर्न दाखिल करनी होगी. एक आधिकारिक बयान में रामकृष्णुडु ने ‘इस बात पर गंभीर चिंता जाहिर की कि परिषद राज्यों से परामर्श लिए बगैर एजेंडा तय कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्यों को छूट और कर में कमी से जुड़ी कुछ दिक्कतें हैं, जिनमें से कुछ पर कई बार पत्र लिखने के बावजूद चर्चा नहीं की गयी.

उधर, जीएसटी के लागू होने के बाद राजस्व में गिरावट को लेकर पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने चिंता जतायी है. बादल ने गुरुवार को कहा कि राज्य में जीएसटी संग्रह बढ़ नहीं पा रहा है और इस नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लागू होने के बाद राज्य के राजस्व में 37 फीसदी की कमी आयी है. पंजाब के अलावा कई अन्य राज्य मसलन हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, ओड़िशा, गोवा, बिहार, गुजरात और दिल्ली भी जीएसटी के बाद राजस्व की कमी का सामना कर रहे हैं. संघ शासित प्रदेशों में पुडुचेरी के राजस्व में सबसे अधिक 43 फीसदी की कमी आयी है.

जीएसटी परिषद की बैठक के बाद पंजाब के वित्त मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि राजस्व चिंता का विषय है. राज्य में अप्रत्यक्ष कर संग्रह दो साल पहले के संग्रह से भी कम है. बादल ने कहा कि जीएसटी से पहले खाद्यान्न पर कर था. यह हमारे आधार का 40 फीसदी था. जब किसी राज्य को 40 फीसदी के कर आधार का नुकसान होता है, तो उसके राजस्व में भारी गिरावट आती है. हमारा राजस्व 37 फीसदी घट गया है.

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