काले धन पर शिकंजा,अब नहीं बच पायेंगे दोषी !
नयी दिल्ली : स्विट्जरलैंड ने कर अपराधों के संदिग्ध मामलों की जांच में भारत सहित अन्य देशों को मदद आसान बनाने के लिए अपने एक प्रमुख काननू में ढील देने का सोमवार को फैसला किया. इसके तहत अपने टैक्स प्रशासनिक मदद कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है. प्रस्तावित संशोधन में इस अनिवार्यता को समाप्त […]
नयी दिल्ली : स्विट्जरलैंड ने कर अपराधों के संदिग्ध मामलों की जांच में भारत सहित अन्य देशों को मदद आसान बनाने के लिए अपने एक प्रमुख काननू में ढील देने का सोमवार को फैसला किया. इसके तहत अपने टैक्स प्रशासनिक मदद कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है. प्रस्तावित संशोधन में इस अनिवार्यता को समाप्त करने की बात कही है जिसके तहत कथित कर चोरी मामलों में विदेशी सरकारों को कोई ब्योरा उपलब्ध कराने से पहले सभी इकाइयों को जानकारी देनी होती है.
इससे स्विस सरकार के लिए समूह आग्रह से जुड़े मामलों में मदद करना आसान हो जायेगा. फेडरल काउंसिल ऑफ स्विट्जरलैंड की ओर से जारी बयान के अनुसार उसने संशोधित कर प्रशासनिक मदद कानून को एक अगस्त 2014 से कार्यान्वित करने का प्रस्ताव किया है. इस विधेयक के खिलाफ किसी जनमत संग्रह का प्रस्ताव अभी नहीं आया है, जिसकी अंतिम तारीख 10 जुलाई, 2014 है.
* भारत को सहयोग को तैयार
स्विस सरकार ने कहा कि वह करचोरी की समस्या से निबटने के लिए भारत के साथ मिल कर कम करना चाहती है. स्विस दूतावास की ओर से वित्त मंत्रालय के हवाले से कहा गया है कि स्विट्जरलैंड करापवंचन से निबटने की भारत की इच्छा से सहमत है. संबंधित अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है.
* स्विस सरकार को लिखेंगे पत्र : भारत
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कालेधन के मामले पर स्विट्जरलैंड सरकार को पत्र लिखेंगे, ताकि वहां के बैंकों में भारतीयों की ओर से जमा अवैध धन का ब्योरा शीघ्रतापूर्वक उपलब्ध हो सके. रविवार को स्विस सरकार की ओर से कहा गया था कि कालेधन के मामले में संदिग्ध भारतीयों की सूची तैयार कर ली गयी है. जेटली का बयान इसके बाद आया है.
* बैंक, वित्तीय संस्थान एसआइटी को दें सूचना
रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों को काले धन पर गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) की तरफ से मांगी जाने वाली सूचना तथा दस्तावेज उपलब्ध कराने का सोमवार को निर्देश दिया. रिजर्व बैंक की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया कि सभी बैंक तथा वित्तीय संस्थानों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी जाती है कि एसआइटी की तरफ से जब भी दस्तावेज मांगे जाते हैं, उसे उपलब्ध कराया जाये.
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