मुंबई : पिछले साल के दिसंबर महीने में आर्थिक मोर्चे पर सरकार को बाजार से मिली राहत के बाद उद्योग जगत समेत तमाम शोध और वित्तीय कंपनियों के बीच यह उम्मीद जगने लगी है कि फरवरी महीने में रिजर्व बैंक की ओर से पेश होने वाली मौद्रिक समीक्षा नीति में मौद्रिक नीति समिति (एमएसपी) की ओर उदार रुख अख्तियार किया जायेगा और रेपो रेट में कटौती की जायेगी. बाजार को यह उम्मीद है कि खुदरा और थोक मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति अपनी अगली बैठक में नीतिगत ब्याज दर के बारे में अपना रुख नरम कर सकती है.
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वित्तीय सेवा क्षेत्र के बारे में एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. आरबीआई ने अभी मौद्रिक नीति के बारे में ‘नाप-तोल कर सख्ती’ करने का रुख अपना रखा है. कोटक की अनुसंधान रिपोर्ट का कहना है कि मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति के और नरम पड़ने के बाद अपने रुख को ‘तटस्थ’ कर सकती है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर दिसंबर, 2018 में गिरकर 2.19 फीसदी पर आ गयी थी, जो एक महीने पहले यानी नवंबर में 2.33 फीसदी और दिसंबर, 2017 में 5.21 फीसदी थी. यह खुदरा महंगाई दर का 18 महीने का न्यूनतम स्तर है.
इसी तरह थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति भी दिसंबर, 2018 में 3.80 फीसदी पर आ गयी. यह इसका आठ महीने का न्यूनतम स्तर है. इससे एक महीना पहले यानी नवंबर महीने में थोक मुद्रास्फीति 4.64 फीसदी और दिसंबर, 2017 में 3.58 फीसदी थी. रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति के निर्धारण में खुदरा मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है. यह लगातार पांचवां महीने है, जबकि यह 4 फीसदी से नीचे है.
रिजर्व बैंक के सामने इसे चार फीसदी के आसपास बनाये रखने का लक्ष्य दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई की नरमी को देखते हुए हमारा यह ठोस मत है कि फरवरी की बैठक में मौद्रिक नीति समिति अधिक उदार रुख अपनायेगी और अपने नीतिगत रुख को नापतोल कर कठोर करने की जगह तटस्थ कर सकती है.
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