नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयकर विवरण की ई-फालिंग, जांच-पड़ताल और टैक्स रिफंड की पूरी प्रक्रिया को और त्वरित तथा सुगम बनाने के लिए अगली पीढ़ी की प्रणाली लागू करने की एक योजना को बुधवार को मंजूरी दी है. इस 4,241.97 करोड़ रुपये की परियोजना का काम दिग्गज कंपनी इन्फोसिस को देने का निर्णय किया गया है. इस कदम से आयकर रिटर्न (आईटीआर) प्रसंस्करण का समय घटकर एक दिन रह जायेगा और इससे रिफंड का काम और तेज होगा.
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केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आयकर विभाग की एकीकृत ई-फाइलिंग एंड सेंटरलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) 2.0 परियोजना के लिए 4,241.97 करोड़ रुपये के व्यय को मंजूरी दी गयी. इस फैसले की जानकारी देते हुए गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि अभी आईटीआर की जांच पड़ताल में 63 दिन का समय लगता है. इस परियोजना के क्रियान्वयन के बाद यह घटकर एक दिन रह जायेगा.
गोयल ने बताया कि इस नयी प्रणाली को करीब डेढ़ साल में तैयार किया जायेगा. इसका तीन महीने तक परीक्षण के बाद इसे लागू किया जायेगा. उन्होंने बताया कि निविदा प्रक्रिया के बाद इन्फोसिस को इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए चुना गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रणाली सफल रही है और नयी परियोजना अधिक कर अनुकूल होगी. सीपीसी परियोजनाओं के तहत आयकर विभाग में समस्त प्रक्रियाओं का एंड टू एंड ऑटोमेशन किया जायेगा. इसके लिए विभिन्न नवोन्मेषी तरीकों का इस्तेमाल किया जायेगा.
उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने मौजूदा सीपीसी-आईटीआर 1.0 परियोजना के लिए 2018-19 तक 1,482.44 करोड़ रुपये की एकीकृत लागत को भी मंजूरी दी है. चालू वित्त वर्ष में अभी तक 1.83 लाख करोड़ रुपये के टैक्स रिफंड जारी किये गये हैं. इस फैसले से जहां पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी, बल्कि रिटर्न की तेजी से जांच हो सकेगी और रिफंड प्रक्रिया भी तेज होगी. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जहां करदाताओं के लिए प्रक्रियाओं को तेज किया जा सकेगा, वहीं स्वैच्छिक कर अनुपालन को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
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