नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की. इसके लिए आयोजित बैठक में उद्यमियों की आेर से आगामी सात फरवरी को पेश होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की मांग की गयी है. इसके साथ ही, उद्योग जगत ने रिजर्व बैंक के गवर्नर से मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले हुई इस बैठक में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए रेपो रेट और नकद आरक्षित अनुपात में कटौती की मांग की है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ मुंबई में हुई इस बैठक में उद्योग मंडलों ने मुद्रास्फीति में गिरावट के बीच नकदी की सख्त स्थिति से निपटने तथा ऋण की ऊंची लागत को कम करने के लिए कई उपाय सुझाये.
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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सुझाव दिया कि नकदी की सख्त स्थिति से निपटने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कम से कम 0.5 फीसदी की कटौती की जानी चाहिए. साथ ही, उद्योग विशेषरूप से एमएसएमई तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र को ऋण के प्रवाह बढ़ाने के उपाय किये जाने चाहिए. सीआईआई ने कहा कि मुद्रास्फीति लगातार निचले स्तर पर बनी हुई है. ऐसे में ऋण की ऊंची लागत को कम करने के लिए प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.5 फीसदी की कटौती की जानी चाहिए. ये सुझाव केंद्रीय बैंक की चालू वित्त वर्ष की छठी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा से पहले आये हैं. मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजे 7 फरवरी को आयेंगे.
रिजर्व बैंक के पास आरक्षित कोष के रूप में जमा राशि का जो हिस्सा रखा जाता है, उसे सीआरआर कहते हैं. फिलहाल, सीआरआर चार फीसदी है. केंद्रीय बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों को जिस दर पर कुछ समय के लिए कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. अभी रेपो रेट 6.50 फीसदी है. सीआईआई ने रीयल एस्टेट क्षेत्र के समक्ष आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा उठाये गये कदमों की सराहना की. सीआईआई के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई उसके अध्यक्ष उदय कोटक ने की.
एक अन्य उद्योग मंडल फिक्की ने भी रेपो रेट और सीआरआर में कटौती की मांग उठायी. फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि रेपो रेट और सीआरआर में कटौती से देश में निवेश चक्र में सुधार आ सकेगा. साथ ही, इससे उपभोग बढ़ेगा और वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा. सोमानी ने कहा कि आज के समय की जरूरत एक सामंजस्य बैठाने वाली मौद्रिक नीति की है, जो वृद्धि पर केंद्रित हो. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति का उद्देश्य सिर्फ मूल्य स्थिरता तक सीमित नहीं रहे, बल्कि यह वृद्धि और विनिमय दर स्थिरता पर भी ध्यान दे.
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