ललित त्रिपाठी, निदेशक, वेदांत एसेट्स
चुनावी वर्ष में बहुत सारी ऐसी राजनीतिक घोषनाएं होती हैं, जिसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदा के लिए तो किया जाता है, पर यह विकास और इकोनॉमी के लिए नुकसानदेह ही साबित होता है. जैसे कि राजकोषीय घाटा सरकार द्वारा अपेक्षित 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 3.7 प्रतिशत हो सकता है.
इसका सीधा असर मुद्रास्फीति और मंहगाई दरों में बढ़त के रूप में हो सकता है. 2009 में भी देखा गया था कि सरकार द्वारा किसान के ऋण माफी की घोषणा एवं नरेगा जैसे दो महत्वपूर्ण फैसलों ने विकास दरों में लंबा प्रभाव छोड़ा था. 2019 में भी देखा जा रहा है कि केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा किसानों को ऋण माफी एवं डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर की वजह से इसका सीधा असर विकास दर पर भी पड़ता है.
दूसरी तरफ इसका फायदा यह होता है कि किसान व आम लोगों के पास परचेजिंग पावर बढ़ती है. इसकी वजह से मंहगाई व इन्फ्लेशन में बढ़ोतरी होती है. बैंकों के ब्याज दरों के बढ़ने की संभावना भी रहती है. विकास दर में इसका नकारात्मक असर दिखता है.
बैंकों का किसानों पर लगभग दस लाख करोड़ का ऋण है और इसमें से दो लाख करोड़ का ऋण माफी की घोषणाओं से बैंकों के बैलेंस शीट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. खास कर के पीएसयू बैंकों के ऊपर इसका ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है.
इसके अलावा भारत में बॉन्ड मार्केट में कुछ बड़ी कंपनियों के डिफाल्ट होने की वजह से जैसे कि आइएलएफएस के डेब्ट डिफाल्ट होने के बाद एनबीएफसी और हाउसिंग फिनांस कंपनियों के ऊपर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. इसके अलावा पिछले एक वर्ष में कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ में आयी कमी की वजह से मिड कैप और स्मॉल कैप के शेयरों में 30-40 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गयी है.
इसलिए नये निवेशक या वैसे निवेशक जो आगे चल कर अच्छा रिटर्न बनाना चाहते हैं, यह वर्ष उन्हें निवेश का एक बढ़िया मौका प्रदान करेगा. खास कर के रूरल सेक्टर से जुड़ी हुई कंपनियां, रूरल कनजंपशन से जुड़ी कंपनियां भी निवेश के लिए एक बेहतर विकल्प रहेगा. हाउसिंग फिनांस कंपनियां और एनबीएफसी जो इस कठिन परिस्थितियों के दौरान सशक्त होकर बाहर निकलेंगे, वे कुछ वर्षों उपरांत निवेशकों के लिए मल्टिबैगर साबित होंगे.
कुल मिलाकर कहा जाये, तो 2019 मार्केट के लिए उतार-चढाव से भरा रहेगा. और नये निवेशकों को निवेश के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगा. चूंकि यह वर्ष निवेश का है और निवेशकों को इसे ध्यान में रखते हुए ही अपने निवेश नीति बनाना चाहिए. यह वर्ष राजनीतिक अनिश्चितता, लोकलुभावन घोषनाएं एवं बाजार की अनिश्चितताओं का है, इसलिए इस समय का समझदारी से उपयोग करते हुए निवेश करने से अगले 3-5 सालों में काफी फायदेमंद साबित होगा.
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