देश के डाकघरों में पड़ी है 9,000 करोड़ की बेनामी रकम, इसमें कहीं आपकी तो नहीं…

नयी दिल्ली : कौन कहता है कि भारत में बेनामी संपत्तियों की कमी है. देश के बैंक आैर चिटफंड कंपनियों की तो बात ही छोड़िये, आर्थिक मामले आैर लेन-देन में सबसे दीन-हीन गरीब समझे जाने वाले डाकघरों में भी इतनी बेशुमार बेनामी रकम पड़ी है कि यदि उसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाये, तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2019 9:13 PM

नयी दिल्ली : कौन कहता है कि भारत में बेनामी संपत्तियों की कमी है. देश के बैंक आैर चिटफंड कंपनियों की तो बात ही छोड़िये, आर्थिक मामले आैर लेन-देन में सबसे दीन-हीन गरीब समझे जाने वाले डाकघरों में भी इतनी बेशुमार बेनामी रकम पड़ी है कि यदि उसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाये, तो उतनी ही रकम से गगनयान परियोजना के लिए कोष इकट्ठा किया जा सकता है. मीडिया की रिपोर्ट पर यदि भरोसा करें, तो देश के डाकघरों में इस समय करीब 9,000 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति जमा है, जिसका फिलहाल कोर्इ मालिक-मोख्तियार नहीं है.

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मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 9,000 करोड़ रुपये की यह बेशुमार रकम डाक विभाग की छह छोटी बचत योजनाआें में जमा है, जिसमें किसान विकास पत्र, मासिक आय योजना, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र, सामान्य भविष्य निधि, आवर्ती जमा और सावधि जमा राशि के रूप में पड़ी है. रिपोर्ट के अनुसार, देश के डाकघरों में कुल बेनामी रकम 9,395 करोड़ रुपये हैं.

रिपोर्ट के अनुसार डाकघर के अधिकारियों का कहना है कि अपने यहां पड़े बेनामी रकम को बैंक या तो लावारिस खाता में ट्रांसफर कर देते हैं या फिर जमा जागरूकता और शिक्षा कोष (डीईएएफ) में डाल देते हैं. इसके जरिये जमाकर्ताओं के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम का संचालन किया जाता है, लेकिन बैंकों की तरह डाकघर इन पैसों का इस तरह से इस्तेमाल नहीं कर सकते. इन खातों में पड़े लावारिस पैसों को बेनामी नहीं, बल्कि चुपका कहा जाता है.

रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल के डाकघरों में सर्वाधिक 1,591 करोड़ रुपये (17 फीसदी), दिल्ली में 1,112 करोड़ रुपये (12 फीसदी) तथा पंजाब में 1,034 करोड़ रुपये (11 फीसदी) बेनामी पड़े हैं. इनके अलावा, उत्तर प्रदेश के डाकघरों में 806 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र में 727 करोड़ रुपये, कर्नाटक में 259 करोड़ रुपये और गुजरात में 538 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं.

किस राज्य में कितनी धनराशि (आंकड़ा करोड़ों में)

आंध्र प्रदेश में 224.39

असम में 145.32

बिहार में 243.65

छत्तीसगढ़ में 61.36

दिल्ली में 1112.14

गुजरात में 538.85

हरियाणा में 418.97

हिमाचल प्रदेश में 107.28

जम्मू-कश्मीरझ में 84.11

झारखंडझ में 152.46

कर्नाटकझ में 286.73

केरलझ 259.03

मध्य प्रदेश में 238.68

महाराष्ट्र में 727.40

पूर्वोत्तर में 36.97

ओडिशा में 146.16

पंजाब में 1033.84

राजस्थान में 388.55

तमिलनाडु में 477.79

तेलंगाना में 164.16

उत्तराखंड में 149.62

उत्तर प्रदेश में 806.45

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