मुंबई : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने गुरुवार को ब्याज दरों में कटौती का एलान किया है. आरबीआई ने रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत की है. जानकारी के अनुसार मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में जबकि दो सदस्यों ने इसके खिलाफ अपना मत दिया.
आरबीआई ने मार्च तिमाही के लिये प्रमुख मुद्रास्फीति अनुमान घटाकर 2.8 प्रतिशत किया है. अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए यह अनुमान 3.2 से 3.4 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के लिए 3.9 प्रतिशत किया है. समिति के दो सदस्यों चेतन घाटे और विरल आचार्य ने नीतिगत दर यथावत रखने के पक्ष में मत दिया. रिजर्व बैंक के रुख को बदलकर तटस्थ करने का फैसला आम सहमति से किया गया है.
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत तक रहने का अनुमान जताया है. वित्त वर्ष 2018-19 के लिये यह अनुमान 7.2 प्रतिशत रखा गया है.
आरबीआई के इस एलान से केंद्रीय बजट प्रस्तावों से खर्च योग्य आय बढ़ने से मांग को गति मिलेगी, असर दिखने में समय लग सकता है. आरबीआई ने मार्च 2019 तिमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान संशोधित कर 2.8 प्रतिशत किया है.कोलैटरल फ्री ऐग्रिकल्चर लोन (गिरवी रख लिया गया कर्ज) की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 1.6 लाख करने का आरबीआई ने फैसला किया है.
जानकारों की मानें तो इस कटौती के बाद सभी तरह लोन सस्ते हो जाएंगे. यहां चर्चा कर दें कि रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. बैंकों को सस्ता कर्ज मिलेगा तो वो ग्राहकों के लिए भी ब्याज दरों में कमी कर सकते हैं. गौर हो कि आरबीआई ने पिछली तीन समीक्षा बैठकों में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. हालांकि, उससे पहले दो बार रेपो रेट में 0.25-0.25% का इजाफा किया गया था. मौजूदा रेपो रेट 6.50% था.
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