13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

”अगर इसी तरह कीमतों में गिरावट रही, तो रेपो रेट में और हो सकती है कटौती”

मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को रेपो रेट में कटौती का अहम कारण बताते हुए कहा कि कीमतों में नरमी की वजह से रेपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती की गुंजाइश बनी है और अगर मुद्रास्फीति के घटे अनुमान का लक्ष्य हासिल किया जाता है, तो इसमें और कमी की […]

मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को रेपो रेट में कटौती का अहम कारण बताते हुए कहा कि कीमतों में नरमी की वजह से रेपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती की गुंजाइश बनी है और अगर मुद्रास्फीति के घटे अनुमान का लक्ष्य हासिल किया जाता है, तो इसमें और कमी की जा सकती है. गवर्नर ने कहा कि रेपो रेट 0.25 फीसदी कम कर 6.25 फीसदी करना अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में व्यापक तौर पर कर्ज वृद्धि का उपाय है.

इसे भी पढ़ें : Repo Rate में कटौती के बाद अब रीयल्टी सेक्टर में Boom आने की उम्मीद

मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में दास ने कहा कि जो अनुकूल वृहत आर्थिक स्थिति बन रही है, वह कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित करती है. जब कीमत स्थिरता के मकसद के बाद आर्थिक वृद्धि के उद्देश्य से निर्णायक और समयबद्ध तरीके से कदम उठाना महत्वपूर्ण है. गवर्नर ने कहा कि कीमत की स्थिरता के तहत मुद्रास्फीति आंकड़े को मध्यम अवधि में 4 फीसदी के दायरे में रखने की जिम्मेदारी है और मौद्रिक नीति समिति ने आरबीआई कानून के प्रावधानों से बाहर कुछ नहीं किया है.

यह पूछे जाने पर कि अगले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति के 3.9 फीसदी रहने के अनुमान को देखते हुए क्या नीतिगत दर में कटौती की और गुंजाइश है, दास ने इसका सकारात्मक जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अगले 12 महीनों में अगर महंगाई दर 3.9 फीसदी रहती है या अधिकतम 4 फीसदी या उससे नीचे रहती है, मुझे लगता है कि कदम उठाने की गुंजाइश बचती है.

एक सवाल के जवाब में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि यह कहना ठीक नहीं है कि आज की नीतिगत दर में कटौती का कदम जल्दबाजी में उठाया गया है. उन्होंने कहा कि अक्टूबर के बाद से तेल कीमतों में गिरावट तथा खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से महंगाई दर नीचे आयी है.

आचार्य ने कहा कि केंद्रीय बैंक छोटे कदम उठाकर आगे बढ़ता है. अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद हमने सोचा कि तेल में अभी नरमी आयी है. ऐसे में दिसंबर में कड़े नीतिगत रुख को तुरंत वापस लेना उपयुक्त नहीं था.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें