एक्सपर्ट व्यू : अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार ऐसे करें निवेश
प्रदीप जैन, निदेशक, पीएमपीके वेल्थ एडवाइजर्स वित्तीय सलाहकार होने के कारण मेरे सामने निवेशकों के बहुत सारे प्रश्न आते हैं. जब इनका विश्लेषण करता हूं, तब पाता हूं कि ज्यादातर निवेशक अपने निवेश के वित्तीय लक्ष्य को भूल जाते हैं. उनका ध्यान या तो ज्यादा रिटर्न देने वाली योजनाओं की ओर रहता है या फिर […]
प्रदीप जैन, निदेशक, पीएमपीके वेल्थ एडवाइजर्स
वित्तीय सलाहकार होने के कारण मेरे सामने निवेशकों के बहुत सारे प्रश्न आते हैं. जब इनका विश्लेषण करता हूं, तब पाता हूं कि ज्यादातर निवेशक अपने निवेश के वित्तीय लक्ष्य को भूल जाते हैं. उनका ध्यान या तो ज्यादा रिटर्न देने वाली योजनाओं की ओर रहता है या फिर बाजार के उतार-चढ़ाव पर. और उनसे भावनात्मक गलतियां हो जाती है.
कौन सी योजना अच्छी है?
वही योजना अच्छी है, जो आपके निवेश करने की क्षमता, जोखिम लेने की क्षमता, निवेश की अवधि के अनुसार आपको आपके वित्तीय लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए उपयुक्त है. पहले उपयुक्त निवेश कैटेगरी को तय करें और उसके बाद तय करें कि उस केटेगरी में कौन सा फंड हाउस व कौन सा फंड ज्यादा स्टेबल है. यदि एक से अधिक कैटेगरी की आवश्यकता है तब उस का अनुपात तय करें.
इन्वेस्टमेंट स्कीम अच्छी या बुरी नहीं होती
अलग-अलग योजनाएं अलग-अलग प्रकार के निवेशकों के लिए उपयुक्त होती है. बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि रिटर्न निवेश की योजना से ज्यादा निवेशक के भावनात्मक परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है. धौनी का बल्ला मिलने से कोई क्रिकेटर धौनी नहीं बन जायेगा. कहने का तात्पर्य यह है कि यदि आपका निवेश आपके लक्ष्य के अनुरूप है और आप लंबे समय तक बाजार के उतार-चढ़ाव के भावनात्मक दबाव को सहते हुए टिके रहते हैं, तभी समुचित लाभ मिल पायेगा.
इन्वेस्टमेंट परफॉर्मेंस और इन्वेस्टर एक्सपीरियंस एक जैसा नहीं होता
देखा गया है कि अनेक योजनाओं ने अच्छा परफॉर्मेंस करते हुए बेहतरीन रिटर्न दिया है लेकिन इन्हीं योजना के ज्यादातर निवेशकों का रिटर्न साधारण सा रहा. यानी योजना ने तो 20% का रिटर्न बनाया लेकिन ज्यादातर निवेशकों को 8% से अधिक नहीं मिला. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि तेजी के समय योजना के प्रदर्शन को देखते हुए निवेशकों ने लालच में निवेश कर दिया, लेकिन ऐसे निवेशक पहली मंदी में ही घबरा कर अपने पैसे को निकाल लेते हैं.
पिछले साल के बेस्ट परफॉर्मिंग स्कीम में निवेश करने से बेहतरीन रिटर्न पक्का नहीं होता
इस विषय पर अनेक रिसर्च हुए हैं. अलग-अलग कैटेगरी की योजनाओं में 10 साल तक लगातार पिछले साल की बेस्ट योजना में पैसा लगाया गया और पाया गया की 10 साल के अंत में बेस्ट रिटर्न मिलना तो दूर रहा बल्कि उस केटेगरी का औसत रिटर्न से भी कम रिटर्न मिला. जिस प्रकार रियर व्यू मिरर को देखते हुए गाड़ी नहीं चलाया जा सकता है, उसी प्रकार पिछले प्रदर्शन को देखते हुए निवेश का डेट ले लेना गलत है.
सरल योजना ही बेहतर योजना होती है
लोग हर बार कुछ नया चाहते हैं और इसलिए निवेश कंपनियां अनेक प्रकार के विकल्प बनाकर निवेशकों को लुभाती रहती हैं. ऐसी जटिल योजनाओं में निवेश करने से कोई विशेष लाभ नहीं होता है. जटिल योजनाओं के पोर्टफोलियो को देखने से यह समझना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा निवेश किस वित्तीय लक्ष्य के अनुरोध किया गया है.
बहुत ज्यादा योजनाओं में निवेश न करें
किसी भी निवेशक के कुछ शॉर्ट टर्म, कुछ मीडियम टर्म और कुछ लॉन्ग टर्म गोल होते हैं. इन सभी लक्ष्यों के लिए एक या दो स्कीम काफी होती है. फुलवारी में दो चार तरीके के फूलों की क्यारियां होने के कारण वह सुंदर दिखती है जबकि नर्सरी में सैकड़ों किस्म के फूल लगे होते हैं लेकिन वह जंगल जैसी प्रतीत होती है.
मैं फिर से कहूंगा कि निवेश का लक्ष्य महत्वपूर्ण है रिटर्न नहीं. रिटर्न तो निवेश का बाई प्रोडक्ट है. लक्ष्य तक पहुंचाना निवेश की परिणति है.
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