नयी दिल्ली : बीएसएनएल की एक कर्मचारी यूनियन ने सोमवार को आरोप लगाया कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी की समस्याओं को सुलझाने के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं कर रही है और वह निजी क्षेत्र की प्रतिद्वंद्वी कंपनी को फायदा पहुंचाना चाहती है. यूनियन ने यह आरोप तब लगाया है, जब कंपनी के कर्मचारी अपनी मांगों के समर्थन में तीन दिन की हड़ताल पर चले गये हैं.
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यूनियन के इस आरोप से एक दिन पहले दूरसंचार विभाग ने घोषणा की है कि वह बीएसएनएल प्रबंधन, यूनियनों तथा संघों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेगी, ताकि उनकी जायज मांगों पर विचार किया जा सके. देशभर में बीएसएनएल के कर्मचारी सोमवार से हड़ताल पर चले गये. कर्मचारियों की मांग है कि कंपनी को 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाये, बीएसएनएल के लिए भूमि प्रबंधन नीति को मंजूरी दी जाये, वेतन संशोधन समिति का क्रियान्यवन और पेंशन अंशदान का समायोजन किया जाये.
ऑल इंडिया यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ भारत संचार निगम लिमिटेड (एयूएबी) के संयोजक पी अभिमन्यु ने कहा कि सरकार ने रविवार को बोगस बयान जारी किया कि वह बीएसएनएल कर्मचारियों के साथ बातचीत करेगी. हमारी मुख्य मांग 15 फीसदी फिटमेंट के साथ वेतन संशोधन की है. हम बीएसएनएल की वित्तीय स्थिति के बारे में समझते हैं और हमने दूरसंचार विभाग से कहा कि हम 15 फीसदी के बजाय पांच प्रतिशत फिटमेंट को भी स्वीकार करेंगे. इसके बावजूद उनके बयान में यह बात नहीं है.
एयूएबी ने दावा किया कि देशभर में बीएसएनएल के 98 फीसदी कर्मचारी हड़ताल पर रहे. वहीं, बीएसएनएल के एक अधिकारी ने कहा कि 60 से 70 फीसदी कर्मचारी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. अधिकारी ने दावा किया कि कंपनी के कॉरपोरेट मुख्यालय में 90 फीसदी कर्मचारी उपस्थित थे.
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