नयी दिल्ली : भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने के लिए प्रस्ताव मांगा है. एलआईसी ने हल में आईडीबीआई बैंक में नियंत्रक हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था. इरडा के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोई भी बीमा कंपनी किसी सूचीबद्ध इकाई में 15 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी नहीं रख सकती.
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इरडा की ओर से विशेष व्यवस्था के तहत एलआईसी के पास कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में इस सीमा से अधिक की हिस्सेदारी है. इसके साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक किसी निजी क्षेत्र के बैंक में प्रवर्तक की हिस्सेदारी 15 फीसदी तक रखने की अनुमति देता है. इरडा के चेयरमैन सुभाष चंद्र खूंटिया ने यहां फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर अलग से बातचीत में कहा कि हम एलआईसी द्वारा आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी घटाने की समयसीमा तय करेंगे. हम यह उन पर नहीं छोड़ रहे हैं. मैंने एलआईसी से इस बारे में प्रस्ताव देने को कहा है. उसके बाद हम इस पर फैसला करेंगे.
पिछले साल जून में इरडा ने एलआईसी को कर्ज के बोझ से दबे आईडीबीआई बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी थी. एलआईसी ने इस अधिग्रहण के तहत 28 दिसंबर को आईडीबीआई बैंक में 14,500 करोड़ रुपये डाले थे. उसके बाद 21 जनवरी को उसने बैंक में 5,030 करोड़ रुपये और डाले.
दिसंबर, 2018 को समाप्त तीसरी तिमाही में आईडीबीआई बैंक का घाटा तीन गुना होकर 4,185.48 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में बैंक को 1,524.31 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. तिमाही के दौरान बैंक की कुल आय घटकर 6,190.94 करोड़ रुपये पर आ गयी, जो इससे एक साल पहले समान तिमाही में 7,125.20 करोड़ रुपये थी.
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