नयी दिल्ली : पीएनबी बैंक से करीब 13,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम की धोखाधड़ी करने वाले हीरा कारोबारी नीरव मोदी को गिरफ्तार किये जाने के बाद आर्थिक अपराधियों को धर दबोचने में भारत को एक और सफलता मिली है. अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से एक और बैंक धोखाधड़ी में लिप्त भारत के भगोड़ा कारोबारी को पकड़े जाने का दावा किया जा रहा है.
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फार्मा कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक के करीब 8,100 करोड़ रुपये कर्ज की बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले के एक आरोपी हितेश पटेल को अल्बानिया में गिरफ्तार कर लिया गया है. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जारी इंटरपोल नोटिस के बाद पटेल को हिरासत में लिया गया है. यह बैंक कर्ज धोखाधड़ी कथित रूप से गुजरात के स्टर्लिंग बायोटेक समूह द्वारा की गयी है.
अधिकारियों ने बताया कि हितेश नरेंद्र भाई पटेल को अल्बानिया के विधि प्रवर्तन अधिकारियों ने 20 मार्च को तिराना में गिरफ्तार किया. अधिकारियों ने बाद में भारतीय जांच एजेंसियों को इस घटनाक्रम के बारे में सूचना दी. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी जल्द अल्बानिया पहुंचेंगे और वे पटेल के प्रत्यर्पण का प्रयास करेंगे. अधिकारियों ने कहा कि पटेल इस मामले में एक आरोपी है. वह मामले के मुख्य आरोपियों संदेसरा भाइयों नितिन एवं चेतन संदेसरा का रिश्तेदार है.
उन्होंने कहा कि पटेल को जल्द भारत प्रत्यर्पित किये जाने की संभावना है. प्रवर्तन निदेशालय ने पटेल के खिलाफ 11 मार्च को इंटरपोल की ओर से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया था. इस वारंट के आधार पर पटेल को गिरफ्तार किया गया. समझा जाता है कि संदेसरा बंधु भी अल्बानिया में हैं. दिल्ली की एक अदालत ने 19 मार्च को ईडी को दोनों के खिलाफ प्रत्यर्पण अनुरोध भेजने की अनुमति दी थी.
ईडी ने अदालत को बताया था कि विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि नितिन जयंतीलाल संदेसरा और चेतनकुमार जयंतीलाल संदेसरा दोनों ने अल्बानिया की नागरिकता हासिल कर ली है और उनके खिलाफ इसी साल गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है. स्टर्लिंग बायोटेक का मुख्यालय वडोदरा में है. एजेंसी ने यह भी दावा किया कि पटेल संदेसरा के लिए गैर-कानूनी नकद लेनदेन का काम देखता था. वह कई कंपनियों में निदेशक था और उसने लक्जरी गाड़ियां खरीदने के लिए बैंक कर्ज को इधर उधर किया.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने उसे इस मामले में पहले भी समन भेजा था, लेकिन वह देश से भाग चुका था. बैंक कर्ज धोखाधड़ी में ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कंपनी और उसके निदेशकों संदेसरा बंधु, दीप्ति चेतन संदेसरा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, विलास जोशी, चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत हाथी, आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दायर किया था.
आरोप है कि कंपनी ने आंध्रा बैंक की अगुवाई में बैंकों के गठजोड़ से 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण लिया था, जो गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बन गया. कुछ कर्ज धोखाधड़ी करीब 8,100 करोड़ रुपये है. एजेंसी ने अभी तक इस मामले में पांच आरोपपत्र दायर किये हैं और 4,710 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं. ईडी ने कहा था कि वह इस मामले में सरकारी अधिकारियों द्वारा 140 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने की मामले की भी जांच कर रहा है.
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