प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य से 15 फीसदी दूर, सीबीडीटी ने आईटी अधिकारियों को सख्त निर्देश
नयी दिल्ली : वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान निर्धारित लक्ष्य से करीब 15 फीसदी कम प्रत्यक्ष कर वसूली होने की वजह से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की पेशानी पर इस समय चिंता की लकीरें साफ दिखायी दे रही हैं. चालू वित्त वर्ष को समाप्त होने में अब एक हफ्ते से भी कम समय बचा […]
नयी दिल्ली : वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान निर्धारित लक्ष्य से करीब 15 फीसदी कम प्रत्यक्ष कर वसूली होने की वजह से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की पेशानी पर इस समय चिंता की लकीरें साफ दिखायी दे रही हैं. चालू वित्त वर्ष को समाप्त होने में अब एक हफ्ते से भी कम समय बचा है और ऐसे में अभी करीब 1,78,749 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर वसूली करना बाकी है. प्रत्यक्ष करों की वसूली में आयी गिरावट से सीबीडीटी ने प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट को लेकर चिंता जतायी और आयकर विभाग को बड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है.
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दरअसल, प्रत्यक्ष कर संग्रह निर्धारित लक्ष्य से 15 फीसदी कम है और वित्त वर्ष खत्म होने में एक हफ्ते से भी कम का समय रह गया है. सीबीडीटी की सदस्य (राजस्व) नीना कुमार ने 26 मार्च को विभाग के सभी क्षेत्रीय प्रमुखों को लिखे पत्र में कहा कि कर संग्रह आंकड़ों की समीक्षा की गयी है. इसमें देखा गया है कि बजट में कर संग्रह का लक्ष्य 12,00,000 करोड़ रुपये रखा गया था, लेकिन 23 मार्च तक 10,21,251 करोड़ रुपये ही एकत्र किये गये हैं. यह बजट लक्ष्य का 85.1 फीसदी है. देशभर में आयकर विभाग के कर संग्रह पर नजर रखने वाले अधिकारी ने उन क्षेत्रों को रेंखाकित किया, जहां व्यक्तिगत, कॉरपोरेट और अग्रिम कर श्रेणियों से मिलने वाले प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट आयी है.
कुमार ने पत्र में कहा कि श्रेणीवार विश्लेषण में नियमित कर संग्रह में कमी का रुख दिख रहा है. यह पिछले सप्ताह इसमें 5.2 फीसदी की गिरावट आयी थी, जो अब बढ़कर 6.9 फीसदी पर आ गयी है. यह एक चिंताजनक स्थिति है, जिसकी तरफ तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. अधिकारी ने इस स्थिति पर निराशा जतायी और कर अधिकारियों से कमर कस लेने तथा प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ने को कहा है.
सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीतियां तैयार करती है और उसको नियंत्रित करने वाली इकाई भी है. कुमार ने पत्र में कहा कि नियमित कर आकलन प्रदर्शन का पैमाना (बेंचमार्क) है और यह कर मांग की गुणवत्ता पर आधारित होता है, जिसे आगे वास्तविक संग्रह में तब्दील किया जा सकता है. बोर्ड ने आयकर अधिकारियों के साथ इस बारे में रणनीति पर चर्चा की थी. उम्मीद थी कि संग्रह में सुधार होगा, लेकिन आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं. उन्होंने आयकर विभाग से तत्काल हरसंभव कदम उठाने को कहा है, ताकि मौजूदा और बकाया कर की वसूली हो सके और लक्ष्य हासिल किया जा सके.
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