नयी दिल्ली : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अधिकारियों को उन तीन कंपनियों के वित्तीय लेनदेन की जांच का निर्देश दिये है, जिनका पंजीकरण सरकार ने रद्द कर दिया था. सरकार ने कर चोरी और धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के लिए इन कंपनियों पर कार्रवाई की थी. खासकर नोटबंदी के दौरान इनमें से कई कंपनियां संदिग्ध लेनदेन में लिप्त रहीं हैं. बोर्ड ने आयकर विभाग के कार्यालयों को इस विशेष काम को करने के लिए कहा है.
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सीबीडीटी ने पत्राचार में कहा कि बोर्ड चाहता है कि धन शोधन गतिविधियों में इन कंपनियों के संभावित दुरुपयोग का पता लगाने के लिए आयकर कार्यालय कंपनियों के बैंक खातों से निकासी और जमा की पड़ताल करें. खासकर कंपनियों के पंजीकरण रद्द होने की प्रक्रिया के समय और उससे पहले नोटबंदी के दौरान के वित्तीय लेनदेन को खंगाला जाये. सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीति बनाने वाला निकाय है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बोर्ड के पास जानकारी है कि इनमें से कई कंपनियों के कर से जुड़े अपराधों में लिप्त होने की आशंका है. यह साबित हो जाने पर आयकर विभाग कंपनियों के खिलाफ कर चोरी और धन शोधन में लिप्त रहने के लिए कार्रवाई शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि धनशोधन के मामलों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास भी भेजा जायेगा.
सीबीडीटी ने कर अधिकारियों से कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद इन कंपनियों की जानकारी जुटाने के लिए कहा है और उसके बाद इनके आयकर रिटर्न की जांच पड़ताल करने और बैंकों से उनके वित्तीय लेनदेन के बारे में जांच करने के लिए कहा है. सीबीडीटी ने कहा कि यदि कंपनी या व्यक्ति के संदिग्ध लेनदेन का पता चलता है, तो राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष अपील करके कंपनी की बहाली की मांग की जायेगी, ताकि आयकर अधिनियम के प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई की जा सके.
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