मुंबई : घरेलू बचत के कम होने की वजह से चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़ सकता है और इससे ब्याज दरों में इजाफा हो सकता है. एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गयी है. किसी देश को निर्यात से अर्जित आमदनी तथा आयात पर होने वाले खर्च के अंतर को चालू खाते का घाटा (सीएडी) कहा जाता है. इसके पहले, चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी के कारण रुपये में भारी गिरावट की स्थिति आयी है और ब्याज दरों में उछाल भी आया है. साथ ही, इससे रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती का लाभ नहीं मिल पायेगा.
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इंडिया रेटिंग ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में वित्तीय देनदारियों की सकल घरेलू वित्तीय बचत दर 9.8 फीसदी की वार्षिक दर से बढ़कर 11.29 लाख करोड़ रुपये हो गयी, जो वित्त वर्ष 2011-12 में 6.43 लाख करोड़ रुपये थी. हालांकि, केंद्र और राज्यों द्वारा ली गयी शुद्ध उधारी तथा उनके अतिरिक्त-बजटीय संसाधन वित्तवर्ष 2017-2018 में बढ़कर 11.55 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो वित्तवर्ष 2011-12 में 6.28 लाख करोड़ रुपये था. यह 10.7 फीसदी की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है.
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