खुशखबरी!नहीं बढ़ेंगे गैस के दाम

नयी दिल्ली:यदि पारीख समिति की सिफारिश पर अमल हुआ तो संभव है घरेलू रसोई गैस 250 रुपये प्रति सिलिंडर और राशन में केरोसिन का दाम चार रुपये प्रति लीटर बढ़े. फिलहाल सरकार ने तो फैसला नहीं लिया है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी कहा कि रिपोर्ट मिली है, लेकिन कीमतों में अभी वृद्धि नहीं की जायेगी.इससे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2014 9:28 AM

नयी दिल्ली:यदि पारीख समिति की सिफारिश पर अमल हुआ तो संभव है घरेलू रसोई गैस 250 रुपये प्रति सिलिंडर और राशन में केरोसिन का दाम चार रुपये प्रति लीटर बढ़े. फिलहाल सरकार ने तो फैसला नहीं लिया है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी कहा कि रिपोर्ट मिली है, लेकिन कीमतों में अभी वृद्धि नहीं की जायेगी.इससे पहले चर्चा थी कि पेट्रोलियम मंत्रलय ने इस संबंध में सीसीपीए के समक्ष प्रस्ताव रखने का मन बनाया है.

यह प्रस्ताव योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारीख की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है. इसका उद्देश्य 72,000 करोड़ रुपये के सब्सिडी बिल को कम करना है. माना जा रहा है कि डीजल के दाम में 40 से 50 पैसे प्रतिमाह वृद्धि का भी प्रस्ताव है. हालांकि यह वृद्धि तभी तक करने का सुझाव है, जब तक डीजल के दाम में 3.40 रुपये प्रति लीटर का नुकसान समाप्त न हो जाये.

समिति की रिपोर्ट क्या
योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारीख की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह ने रिपोर्ट पिछले साल अक्तूबर में संप्रग सरकार को सौंपी थी. सिफारिशों में डीजल के दाम प्रति लीटर पांच रुपये, मिट्टी तेल के दाम चार रुपये और घरेलू रसोई गैस के दाम 250 रपये प्रति सिलिंडर बढ़ाने का सुझाव दिया था.समिति ने तो एक साल के भीतर डीजल की पूरी सब्सिडी समाप्त करने और सब्सिडीवाले सिलिंडर की आपूर्ति एक साल में 12 की जगह छह करने की सिफारिश की थी. हालांकि, मंत्रलय ने इसे नहीं माना है.

बिल व घाटे का गणित
समिति ने यह सिफारिश इस उद्देश्य से की थी कि 72,000 करोड़ रुपये के सब्सिडी बिल को कम किया जा सके. मिट्टी तेल, रसोई गैस और डीजल के दाम नहीं बढ़ने की सूरत में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,07,850 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.इसकी भरपाई सरकार की तरफ से कंपनियों को दी जाने वाली नकद सब्सिडी और तेल उत्पादक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी, ऑयल इंडिया तथा गेल के योगदान से पूरा करना पड़ता है. वित्त मंत्रलय तेल कंपनियों के लिए सब्सिडी निर्धारण का निर्यात समान मूल्य तय करने के पक्ष में है. वर्तमान में यह व्यापार समान मूल्य के आधार पर तय किये जाते हैं. निर्यात समान मूल्य के आधार पर सब्सिडी में 13,000 करोड़ रुपये की बचत होगी.

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