नयी दिल्ली:वित्त मंत्री अरुण जेटली गुरुवार को अपना पहला बजट पेश करेंगे. इसमें उनके समक्ष मध्यम वर्ग की कर रियायतों की उम्मीदों और निवेश व आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए राजकोषीय स्थिति को मजबूत रखने की चुनौती के बीच तालमेल बिठाने की चुनौती है.
आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट, स्थिर पड़े निवेश, ऊंचे राजकोषीय घाटे व बाहरी (तेल) संकट के बीच भाजपा नीत सरकार महंगाई से त्रस्त आम आदमी को राहत देने के वादे के साथ सत्ता में आयी है. सरकार से कर स्लैब ऊंचा करने एवं कर छूट की वार्षिक आय सीमा बढ़ाने की बहुत उम्मीदें हैं. यदि सरकार इस मोरचे पर कदम उठाती है, तो वेतनभोगी वर्ग को जरूरी राहत मिलेगी. निवेश बढ़ाने के लिए जेटली उद्योग के लिए कर प्रोत्साहन की घोषणा कर सकते हैं.
बजट आने से पहले ही सरकार वाहन एवं टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्रों के लिए उत्पाद शुल्क में रियायत की मियाद दिसंबर तक बढ़ा चुकी है. वित्त मंत्री सोने के आयात पर शुल्क में कमी कर सकते हैं. बढ़ते चालू खाते के घाटे पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने पिछले साल सोने के आयात पर शुल्क बढ़ा दिया था. कमजोर मॉनसून के असर से किसानों को बचाने के लिए जेटली उन्हें भी राहत प्रदान कर सकते हैं. भले ही जेटली खांटी अर्थशास्त्री न हों. वह राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे और लोक-लुभावन योजनाओं पर राजकोष की बलि नहीं चढ़ायेंगे. इस दिशा में जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ने संकेत दिया है कि बजट में कुछ सख्त कदम उठाये जायेंगे.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.